सुशांत प्यारा व्यक्ति था आज उसकी आत्मा भी रो रही होगी?
आवेश तिवारी
ठीक उस वक्त जब हर गली हर चौराहे के सामने कोरोना के वायरस की वजह से मौत का नंगा नाच हो रहा हो।ठीक उस वक्त जब आधा देश इस बात को लेकर भयभीत हो कि कहीं यह रोग उनके माँ बाप को चपेट में न ले ले। ठीक उस वक्त जब तब देश में बेरोजगारी भुखमरी चरम पर हो।
ठीक उस वक्त जब पूरे देश में आत्महत्याओं का काला और अभूतपूर्व दौर चल रहा हो। ठीक उस वक्त जब हरामखोर चीन हमारी सीमाओं में बार बार घुस आ रहा हो, गर कोई सुशांत सिंह की मौत पर राजनीति करता है, यहाँ तक कि उसको येन केन प्रकारेण चर्चा में लाता है तो वह सही मायनों में देशद्रोही है।
आप यकीं नहीं करेंगे ऐसा माहौल बना दिया गया है कि बिहार में गर कोई पत्रकार कोई नेता सुशांत की मौत को आत्महत्या बता दे तो भीड़ उसकी हत्या कर डालेगी। इस मुद्दे पर बोलने से लोग दर रहे हैं या बैलेंस बना रहे हैं।
मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार का प्रकोप फिर से शुरू हो गया है दो मौतों की भी खबर हैं। बाढ़ से आधे बिहार में त्राहिमाम मचा हुआ है। गरीब दलित जनता रोटी रोटी चिल्मा रही है ,मगर खाए पिए अघाए लोग सुशांत सुशांत चिल्ला रहे है।
बीजेपी की बिहार चुनावों को लेकर तैयारी का अंदाजा खूब लग रहा है।सुशांत ही नहीं कई फ़िल्मी कलाकारों को चुनाव मैदान में उतारने की पूरी तैयारी है। मनोज वाजपेयी के भाई को बिना आईएएस हुए ज्वायंट सेक्रेटरी बना दिया गया है।
कंगना रानौत भी चुनावी रण में फ़िल्मी कमांडो रहेंगी। मुम्बई पुलिस को इस बात की भी जांच करनी चाहिए कि सुशांत के पिता पर कौन कौन दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है ? क्या इसके पीछे बीजेपी और जनता दल यू के नेता और कुछ पत्रकार भी हैं?
राष्ट्रीय महिला आयोग को तत्काल संज्ञान लेना चाहिए कि कैसे रिपब्लिक और टाइम्स नाऊ रिया चक्रवर्ती का कैरेक्टर एसेशिनेशन कर रहे हैं। टाइम्स नाऊ बार बार रिया और महेश भट्ट की तस्वीरें ऐसे दिखा रहा जैसे कोई बड़ा स्कूप मिल गया हो। जबकि वो ऐसे बैठे हैं जैसे कोई पिता अपनी बेटी के साथ भी बैठ सकता है।
सोचिये इस क्रूर वक्त में अमेरिका में रंग भेद पर बवाल मच गया और यहाँ एक महिला को न जानते हुए भी कभी उसे रंडी कहा जाता है कभी भद्दी भद्दी गालियों वाले गाने बनाए जाते हैं। यह रंगभेद से क्रूर हैं, यह देशद्रोह है। सुशांत प्यारा व्यक्ति था आज उसकी आत्मा भी रो रही होगी।
ठीक उस वक्त जब हर गली हर चौराहे के सामने कोरोना के वायरस की वजह से मौत का नंगा नाच हो रहा हो।ठीक उस वक्त जब आधा देश इस बात को लेकर भयभीत हो कि कहीं यह रोग उनके माँ बाप को चपेट में न ले ले। ठीक उस वक्त जब तब देश में बेरोजगारी भुखमरी चरम पर हो।
ठीक उस वक्त जब पूरे देश में आत्महत्याओं का काला और अभूतपूर्व दौर चल रहा हो। ठीक उस वक्त जब हरामखोर चीन हमारी सीमाओं में बार बार घुस आ रहा हो, गर कोई सुशांत सिंह की मौत पर राजनीति करता है, यहाँ तक कि उसको येन केन प्रकारेण चर्चा में लाता है तो वह सही मायनों में देशद्रोही है।
आप यकीं नहीं करेंगे ऐसा माहौल बना दिया गया है कि बिहार में गर कोई पत्रकार कोई नेता सुशांत की मौत को आत्महत्या बता दे तो भीड़ उसकी हत्या कर डालेगी। इस मुद्दे पर बोलने से लोग दर रहे हैं या बैलेंस बना रहे हैं।
मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार का प्रकोप फिर से शुरू हो गया है दो मौतों की भी खबर हैं। बाढ़ से आधे बिहार में त्राहिमाम मचा हुआ है। गरीब दलित जनता रोटी रोटी चिल्मा रही है ,मगर खाए पिए अघाए लोग सुशांत सुशांत चिल्ला रहे है।
बीजेपी की बिहार चुनावों को लेकर तैयारी का अंदाजा खूब लग रहा है।सुशांत ही नहीं कई फ़िल्मी कलाकारों को चुनाव मैदान में उतारने की पूरी तैयारी है। मनोज वाजपेयी के भाई को बिना आईएएस हुए ज्वायंट सेक्रेटरी बना दिया गया है।
कंगना रानौत भी चुनावी रण में फ़िल्मी कमांडो रहेंगी। मुम्बई पुलिस को इस बात की भी जांच करनी चाहिए कि सुशांत के पिता पर कौन कौन दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है ? क्या इसके पीछे बीजेपी और जनता दल यू के नेता और कुछ पत्रकार भी हैं?
राष्ट्रीय महिला आयोग को तत्काल संज्ञान लेना चाहिए कि कैसे रिपब्लिक और टाइम्स नाऊ रिया चक्रवर्ती का कैरेक्टर एसेशिनेशन कर रहे हैं। टाइम्स नाऊ बार बार रिया और महेश भट्ट की तस्वीरें ऐसे दिखा रहा जैसे कोई बड़ा स्कूप मिल गया हो। जबकि वो ऐसे बैठे हैं जैसे कोई पिता अपनी बेटी के साथ भी बैठ सकता है।
सोचिये इस क्रूर वक्त में अमेरिका में रंग भेद पर बवाल मच गया और यहाँ एक महिला को न जानते हुए भी कभी उसे रंडी कहा जाता है कभी भद्दी भद्दी गालियों वाले गाने बनाए जाते हैं। यह रंगभेद से क्रूर हैं, यह देशद्रोह है। सुशांत प्यारा व्यक्ति था आज उसकी आत्मा भी रो रही होगी।