मौत पर ठहाके: राहत इंदौरी से नफ़रत करने वाला वही वर्ग है जो अब्दुल कलाम को देशप्रेमी मुसलमान कहता है?
शादाब सलीम
अमित शाह कोरोना पॉज़िटिव हुए, शिवराज सिंह चौहान कोरोना पॉज़िटिव हुए इस पर इनके विरोधियों ने खिल्ली उड़ाई थी। राजनीतिक लोगों के विरोधी होते है यह बात ठीक है क्योंकि आदमी राजनीति कर रहा है तो किसी तरफ तो होगा ही इसलिए राजनीतिक लोगों को एक ओर से तो प्रेम मिलता है और दूसरी ओर से लताड़।
मैं हताश इस बात पर हूँ कि राहत इंदौरी की मौत पर भी ठहाके लग रहे और उन्हें बुरा भला कह रहे। जावेद अख्तर भी होते तो बात ठीक थी क्योंकि वह कमज़ोर आस्थाओं को आहत करते रहते है पर राहत इंदौरी जैसे प्रेमल हृदय आदमी के लिए भी ऐसी नफरत की ज्वाला! मैं तो हैरान हूं। आज़म खान होते, गुलाब नबी आज़ाद होते, सोनिया गांधी होती तो भी बात ठीक थी पर मूर्ख लोगों राहत इंदौरी जैसे फूल जैसे आदमी के लिए नफ़रत कहाँ से ले आए!
राहत इंदौरी से नफ़रत करने वाला वही वर्ग है जो अब्दुल कलाम के लिए गीत गाता है, उन्हें देशप्रेमी मुसलमान कहता है। असल में इन्हें अब्दुल कलाम से भी कोई स्नेह और प्रेम नहीं है बस बात यह है कि वह भाजपा के आदमी थे।
इन्हें पहचान लीजिए यह सर से पैर तक नफ़रत के ज़हर में डूबे हुए लोग है यह किसी भी दिन आपको डंस कर आपमे भी ज़हर भर देंगे, अपने आप को इनसे बचाइए, इनसे कोई समझौता और व्यवहार नहीं हो सकता। यह हद दर्ज़े के नरपिशाच है। अगर आपमे थोड़ी भी मानवीयता और तर्क है तो पुनः चेता रहा हूँ इनसे बचकर रहिए, यह किसी के मित्र नहीं हो सकते।
राहत बहुत लाजवाब आदमी थे, वह मनुष्यता के गीत गाते रहे, उनमें कोई धार्मिक विभेद नहीं था,वह कोई धार्मिक पहचान तक नहीं रखते थे,फिर भी उनके प्रति ऐसे ज़हर और जहालत ने नैराश्य में डूबे दिया है। हम किस भारत की ओर बढ़ रहे है, सूर, निराला, महादेवी, पंत और प्रसाद की पंरपरा के आदमी की मौत पर यदि ठहाके लग रहे तो यह अत्यंत दुःखद है।