पार्टी के कमजोर होने से देश मजबूत रहता है, पार्टी जितना मजबूत होती जाएगी, देश उतना ही कमजोर होता जाएगा?
कृष्णकांत
सीएम शिवराज चौहान ने घोषणा की है कि मध्य प्रदेश में सिर्फ राज्य के ही लोगों को नौकरियां दी जाएंगी. इसके लिए सरकार कानूनी प्रावधान करने जा रही है.
कोई सरकार हमारे संविधान के खिलाफ कोई कानूनी प्रावधान कैसे कर सकती है? ये घोषणा संविधान की मूल भावना के खिलाफ और भेदभावकारी है. किसी के जन्म, मूल, वंश, धर्म, जाति, लिंग, जन्म स्थान आदि के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता.
संविधान हर नागरिक के लिए अवसर की समानता सुनिश्चित करता है. इसके मुताबिक, देश का कोई भी नागरिक देश में कहीं भी बसने और रोजगार पाने का अधिकारी है. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने भी इसे संविधान का उल्लंघन बताया है.
यूपी, एमपी और बिहार जैसे राज्यों से लोग देश भर में रोजगार के लिए जाते हैं. पूरे देश में पूरे देश के लोग मौजूद हैं. शिवराज सरकार इस पर रोक कैसे लगा सकती है? क्या वे ये भी तय करेंगे कि उनके राज्य का कोई भी व्यक्ति किसी अन्य राज्य में नौकरी नहीं करेगा?
क्या ये फैसला सब राज्यों को ऐसा करने के लिए प्रेरित नहीं करेगा? ये फैसला देश की जनता को क्षेत्र और जन्म स्थान के आधार पर बांटने जैसा है. चुनाव जीतने के लिए लोगों को धर्म, जाति या क्षेत्र के आधार पर गोलबंद करना देश पर हमला करने जैसा है.
संविधान पार्टियों की लूट और देश पर कब्जा करने की कोशिशों पर रोक लगाता है. पार्टी के कमजोर होने से देश मजबूत रहता है. पार्टी जितना मजबूत होती जाएगी, देश उतना ही कमजोर होता जाएगा.