क्या भारत के बड़े शहरों में हर्ड इम्युनिटी आ गयी हैं ?
गिरीश मालवीय
न्यूयॉर्क टाइम्स के साथ इंटरव्यू में 12 से ज्यादा वैज्ञानिकों ने कहा कि हर्ड इम्युनिटी की सीमा 50% या इससे भी कम हो सकती है स्टॉकहोम यूनिवर्सिटी में गणितज्ञ टॉम ब्रिटन कहते हैं कि 43% लोगों के संक्रमित होने पर हर्ड इम्युनिटी आ सकती है। यानी किसी आबादी में इतने लोग संक्रमित या रिकवर होने के बाद वायरस अनियंत्रित तरीके से नहीं फैलेगा। आज इस पर बड़ा लेख भास्कर में आया है
कल पुणे से मिले नतीजे चौंकाने वाले हैं वहाँ 51.5 प्रतिशत निवासियों के शरीर में एंटीबॉडी पाया गया। शरीर में Covid-19 एंटीबॉडी होने का मतलब है कि शख्स संक्रमित हो चुका है। इसका मतलब यह कि शहर के आधे से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं .........20 जुलाई से 5 अगस्त के बीच यह सर्वे किया गया। एंटीबॉडी की मौजदूगी हर तरह की आवासीय सुविधा वालों में पाई गई। बंगले में रहने वाले 49 प्रतिशत, आबादी वाली झुग्गियों में रहने वाले 56 से 62 प्रतिशत, अपार्टमेंट में रहने वाले 33 प्रतिशत लोगों में सीरोपॉजिटिविटी रजिस्टर की गई।
इससे पहले ऐसे ही सर्वे में धारावी की झुग्गी बस्ती इलाकों में 57% कोविड-19 संक्रमण के सुबूत मिले थे, धारावी में कोरोना से हुई रोजाना आधार पर दर्ज मौतो की संख्या अब बहुत कम हो गयी है
वैज्ञानिकों के अनुसार न्यूयॉर्क, लंदन और मुंबई के कुछ हिस्सों में वायरस के खिलाफ मजबूत इम्युनिटी पैदा हो चुकी है अब इस हर्ड इम्युनिटी की खबर को आप कैसे देखना चाहते हैं यह आप तय करे क्योकि जो ऐंटीबॉडी वेक्सीन आपके शरीर मे डेवलप करता है वही यदि आपके शरीर मे पहले से मौजूद है तो आपको वेक्सीनेशन की जरूरत ही क्या है ?
दूसरी बात यह है कि यह सीरो सर्वे सरकार की नाकामी भी दिखा रहा है सरकार कोरोना की रोकथाम में नाकाम रही है लॉक डाउन फेल रहा
तीसरी बात यह है कि इन बड़े शहरों वाक़ई अपेक्षाकृत मृत्यु दर बहुत कम है, सरकार यहाँ सही है कि भारत मे विश्व की अपेक्षा मृत्यु दर कम है
चौथी बात यह है कि यदि बड़े शहरों में 50 प्रतिशत आबादी में ऐंटीबॉडी बन चुके है और इससे हर्ड इम्युनिटी आ रही है तो इसे एक पॉजिटिव साइन के बतौर क्यो नही लिया जा रहा है, क्यो WHO हमे लगातार डराने में लगा है कि कोरोना में हर्ड इम्युनिटी की बात झूठी है