सुशांत सिंह राजपूत की मौत के थ्रिलर के आगे सुदीक्षा भाटी की मौत की कहानी फीकी है...
युसूफ किरमानी
यूपी के बुलंदशहर में स्कूटी पर सवार सुदीक्षा भाटी को बुलेट सवार कुछ युवक छेड़ते हैं। उनके गले में एक खास रंग का दुपट्टा होता है। लड़की उन्हें नजरन्दाज कर आगे बढ़ जाती है। वे उसकी स्कूटी को टक्कर मारकर गिरा देते हैं। सुदीक्षा भाटी की मौक़े पर मौत हो जाती है।
भाई पुलिस में गुंडों के खिलाफ शिकायत देता है लेकिन दबाव डालकर शिकायत वापस करा दी जाती है। मामले को एक हादसा बता दिया जाता है। सुदीक्षा ग्रेटर नोएडा के पास दादरी की रहने वाली थी जबकि उसकी मौत बुलंदशहर में हुई। वहाँ वह अपने चाचा के घर आई थी।
बिहार चुनाव की घोषण तक ख़ुदकुशी करने वाले सुशांत की मौत को मोदी मीडिया ज़िन्दा रखेगा। ऐसे में सुदीक्षा भाटी की मौत की पड़ताल उसके लिए कोई मायने नहीं रखती है। यूपी का फासिस्ट सीएम अगर कह रहा है कि यूपी में कानून व्यवस्था ठीक है तो ठीक है। उसकी पुलिस बबलू बन रही है उसे इसकी परवाह नहीं है।
कहाँ है वो गूर्जर समुदाय और क्षत्रिय समुदाय जो सचिन पायलट और सुशांत के लिए तो पंचायतें करता घूम रहा था और सुदींक्षा भाटी की मौत पर चुप है। क्या अब किसी बेटी की इज़्ज़त और इंसाफ का सवाल नहीं है।
यूपी की कानून व्यवस्था रोज़ाना गिरती जा रही है। तमाम समुदायिक गिरोह सत्तारूढ़ पार्टी की कठपुतली बनकर रह गए हैं। इन सामुदायिक गिरोहों के मुद्दे अब सेलेक्टिव हो गए हैं। न जाने कितनी सुदीक्षा भाटी को अभी यूपी में ऐसी क़ुर्बानियाँ देनी पड़ेंगी तब यह सोता हुआ समाज जागेगा।