पत्रकार प्रशांत कनौजिया की गिरफ़्तारी से एक बात साबित हुई है कि सरकार भयभीत है...
युसूफ किरमानी
पत्रकार प्रशांत कनौजिया की गिरफ़्तारी से एक बात फिर से साबित हुई कि यह फासिस्ट सरकार फ़ेसबुक पोस्ट, ट्वीट या सोशल मीडिया पर उसके खिलाफ कुछ भी लिखने से बहुत भयभीत हो जाती है। इसलिए वह नए नए जाल बिछाकर पत्रकारों, लेखकों, कवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर रही है। कल पत्रकार आवेश तिवारी के खिलाफ फ़ेसबुक की सबसे बड़ी महिला अधिकारी अंखी दास ने जो एफआईआर दर्ज कराई थी, दरअसल वो भी सरकार के इशारे पर ही कराई गई थी।
प्रशांत को एक फेक ट्वीट के लिए आज यूपी पुलिस ने गिरफ्तार किया। प्रशांत पर आरोप है कि उन्होंने हिन्दू आर्मी के नेता सुशील तिवारी के कथित भड़काऊ पोस्टर को ट्विटर पर शेयर किया था। जबकि वह पोस्टर सुशील तिवारी ने जारी ही नहीं किया था। तिवारी की शिकायत पर एफआईआर की गई।
यह एक जाल था जो तमाम लोगों के खिलाफ बिछाया गया था। संयोग से इसके शिकार प्रशांत हुए। इसमें कोई भी फँस सकता था। दरअसल, ये ट्रैप उन पत्रकारों के लिए रोज़ाना नई योजना के साथ बिछाए जाते हैं जो सरकार से अपनी अपनी जगह मोर्चा ले रहे हैं। फासिस्ट सरकार और उसकी पुलिस कपिल मिश्रा, सुशील तिवारी, प्रवेश वर्मा, अनुराग ठाकुर समेत तमाम लोगों को गिरफ्तार नहीं कर रही है जिनके वीडियो, ट्वीट आदि मौजूद हैं।
हमारे फ़ेसबुक के जो साथी सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं, उनसे निवेदन है कि वे बिना पुष्टि के कुछ भी न लिखें और न शेयर करें। जो फेक है उससे दूर रहें। इन हालात से डरने की ज़रा भी ज़रूरत नहीं है। लड़ाई के नए तौर तरीक़े तलाशने होंगे। मुश्किल दौर में भी ग़लत को ग़लत कहते रहना होगा।
दो दिन बाद वरिष्ठ वक़ील प्रशांत भूषण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने वाला है। अगर प्रशांत भूषण को गिरफ्तार करने का आदेश आता है तो स्थितियाँ और भी तेज़ी से बदलेंगी। सुप्रीम कोर्ट का ऐसा कोई भी फैसला इस देश की जनता ठुकरा देगी जो सत्य को दबाने की बुनियाद पर होगा। तैयार रहिए।