शाहीन बाग और आम आदमी पार्टी......
Shakeeb Rahman
12 दिसम्बर को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के साथ ही CAA कानून अस्तित्व में आ गया जो न सिर्फ संविधान और आइडिया ऑफ इंडिया के विरुद्ध था बल्कि इसने भारत में मुसलमानों के अस्तित्व पर ही संकट खड़ा कर दिया.....
देश के बड़े - बड़े धर्मनिरपेक्ष नेताओं और उलेमाओं को जब इस कानून के वजह से सर्दी में पसीने छूट रहें तो उसी शीतलहरी में 15 दिसम्बर की रात को 100 महिलाओं ने संविधान बचाने का बीड़ा उठाया...
न कोई राजनीतिक पार्टी और न ही को संगठन , बस मज़बूत इरादों के साथ शाहीन बाग की औरतें संविधान को खड़ा (ज़िन्दा) रखने के लिए सड़कों पर बैठ जाती है । इस आंदोलन में 29 दिन के बच्चे को गोद में लिए माँ बैठी नज़र आई तो 80 साल की दादी ने भी विरोध का शंखनाद किया......जब हम मरे लोग , घरों में नर्म बिस्तर पर रजाई के अंदर ठिठुर रहें थें , तो शाहीन बाग की ज़िन्दा औरतें सख़्त और सर्द सड़कों को अपना आशियाना बना सत्ता को ललकार रहीं थीं...
देखते ही देखते आंदोलन की यह चिंगारी लखनऊ , पटना, गया , प्रयागराज , बैंगलुरू और कोलकाता सहित तीन दर्जन शहरों में फैल गया....सिर्फ़ देश में ही नही विदेशी मीडिया में भी इसकी गूँज सुनाई दी..
इस आंदोलन ने मुस्लिम औरतों को आवाज़ दी...लोगों में नई राजनीतिक चेतना का संचार किया.... इस आंदोलन का सबसे बड़ा महत्व तो ये है कि यह भारतीय इतिहास का पहला आंदोलन है जिसका नेतृत्व महिलाओं ने किया....
शाहीन बाग की औरतों के हौसलें को वहाँ चली गोली भी न तोड़ पाई....और ...आम आदमी पार्टी कहती हैं कि शाहीन बाग आंदोलन बीजेपी प्रायोजित था.....
पहली बात.....क्या कोई भी पार्टी अपने ही बनाए कानून के ख़िलाफ़ आंदोलन के लिए पटकथा लिखेगा .....जो कि विश्व में सुर्खी प्राप्त कर लें....
दूसरी बात.... क्या कोई पार्टी अपने ही खिलाफ़ राजनीतिक चेतना का संचार करेंगी ?
तीसरी बात....इस आंदोलन के दबाव में 12 राज्यों सहित दिल्ली की सरकार ने भी एनपीआर के नए फार्मेट और देशव्यापी एनआरसी को अस्वीकार करने वाला प्रस्ताव पारित किया है....तो क्या बीजेपी ऐसा आंदोलन चलाएगी जो उसी के नीति के विरुद्ध कई राज्यों में प्रस्ताव पास करवा दें...
चौथी बात......बीजेपी ने भी इन औरतों को 500 - 500 रुपयों में जुताई हुई कहा था ...इन्हें तोड़ने के की भी कोशिश की गई...,..तो आप मे और बीजेपी में फ़र्क क्या हुआ ?
एक - दो भोतरे बिकॉलो के बीजेपी में जाने से आंदोलन की धार कुंद नही हो जाएगी...और ये भी एक फेक न्यूज़ है कि वो शाहीन बाग का आंदोलनकारी था... और.....हाँ... नागपुरिया धुन में कत्थक करने से आप पंडित बिरजू महाराज नही बन जाएंगे....रही बात.... शाहीन बाग की .....तो कोरोना की वजह से उसे सिर्फ़ स्थगित किया गया है ख़त्म नहीं.... क्योंकि शाहीन बाग लोगों के लिए अस्तित्व की लड़ाई है....