मौजूदा सरकार की मुसलमानों को ‘टाईट’ रखने की जो नीति रही है, यह देश उसी की क़ीमत चुका रहा है?
वसीम अकरम त्यागी
लखनऊ में एक प्राइवेट कंपनी ने ऑफिस सहायक पद के लिए पांच वैकेंसी निकलीं, जिसमें इंटरव्यू देने के लिये हज़ार से भी ज्यादा अभ्यार्थी पहुंच गए। बीते वर्षों में देश में जो बेरोजगारी बढ़ी है वह अब विकराल रूप ले रही है। लेकिन बेरोजगारी पर सरकार समर्थित भक्त अलग ही कुतर्क कर रहे हैं।
एक भक्त ने टिप्पणी करके बताया कि देश में पांच करोड़ बंग्लादेशी और चालीस लाख रोहिंग्या हैं, इसी वजह से बेरोजगारी बढ़ी है, दूसरा भक्त कह रहा है कि मुसलमान चार शादियां और चालीस बच्चे पैदा करते हैं इसकी वजह से बेरोजगारी बढ़ी है।
मोदी एंड कंपनी ने ऐसा बहुत बड़ा वर्ग तैयार किया है जिसके पास दिमाग़ नहीं हैं, या यूं समझ लीजिये कि उसके दिमाग़ पर ह्वाट्स यूनीवर्सटी का नियंत्रण है। गृहमंत्रालय के अनुसार भारत में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों की संख्या पचास हज़ार भी नहीं हैं। बंग्लादेश कह ही चुका है कि हमारे नाम पर राजनीति मत करिये,
आप हमें हमारे नागरिकों की लिस्ट सौंप दीजिए हम उन्हें वापस बुला लेंगे, लेकिन इसके बावजूद अभी तक बंग्लादेश को नहीं बताया गया कि भारत में कुल कितने बंग्लादेशी अवैध तरीक़े से रह रहे हैं। सवाल बेरोजगारी है, जिस पर मौजूदा सरकार घिरती नज़र आ रही है, लेकिन मुद्दों को डायवर्ट करने के लिये सरकार ने अपने साईबर योद्धाओं को काम पर लगा दिया है कि लोगों का ध्यान बंग्लादेश और रोहिंग्या के नाम पर भटकाईए।
सोचिए! नौकरी किसे मिलती है? उसे ही तो जिसके पास में डिग्री होती है. क्या म्यांमार से जान बचाकर भारत में शरण लेने वाले रोहिंग्या के लिये देश में कोई नौकरी है? क्या उनके पास कोई डिग्री, अथवा सर्टिफिकेट है? लेकिन सत्ताधारी दल का आई.टी. सेल लोगों को गुमराह करने में लगा हुआ है। मौजूदा सरकार की मुसलमानों को ‘टाईट’ रखने की जो नीति रही है, यह देश उसी की क़ीमत चुका रहा है.
बेरोजगारी लगातार बढ़ती जा रही है, काम धंधे चौपट हो रहे हैं, सरकारी कंपनियों का निजीकरण कराया जा रहा है, रेलवे प्लेटफार्म की तीन रुपये की टिकट पचास रुपये की कर दी गई, लेकिन जनता को मुसलमान नाम की थपकी देकर सुलाया जा रहा है। मौजूदा सत्ताधारी बहुत शातिर हैं, उन्हें मालूम है कि जनता को कैसे गुमराह करना है, कैसे समाज में विभाजन करना है। वो अपने इस षड़यंत्र में सफल है, लेकिन देश किसी समुदाय विशेष को ‘टाईट’ रखने की क़ीमत चुका रहा है।
लखनऊ में एक प्राइवेट कंपनी ने ऑफिस सहायक पद के लिए पांच वैकेंसी निकलीं, जिसमें इंटरव्यू देने के लिये हज़ार से भी ज्यादा अभ्यार्थी पहुंच गए। बीते वर्षों में देश में जो बेरोजगारी बढ़ी है वह अब विकराल रूप ले रही है। लेकिन बेरोजगारी पर सरकार समर्थित भक्त अलग ही कुतर्क कर रहे हैं।
एक भक्त ने टिप्पणी करके बताया कि देश में पांच करोड़ बंग्लादेशी और चालीस लाख रोहिंग्या हैं, इसी वजह से बेरोजगारी बढ़ी है, दूसरा भक्त कह रहा है कि मुसलमान चार शादियां और चालीस बच्चे पैदा करते हैं इसकी वजह से बेरोजगारी बढ़ी है।
मोदी एंड कंपनी ने ऐसा बहुत बड़ा वर्ग तैयार किया है जिसके पास दिमाग़ नहीं हैं, या यूं समझ लीजिये कि उसके दिमाग़ पर ह्वाट्स यूनीवर्सटी का नियंत्रण है। गृहमंत्रालय के अनुसार भारत में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों की संख्या पचास हज़ार भी नहीं हैं। बंग्लादेश कह ही चुका है कि हमारे नाम पर राजनीति मत करिये,
आप हमें हमारे नागरिकों की लिस्ट सौंप दीजिए हम उन्हें वापस बुला लेंगे, लेकिन इसके बावजूद अभी तक बंग्लादेश को नहीं बताया गया कि भारत में कुल कितने बंग्लादेशी अवैध तरीक़े से रह रहे हैं। सवाल बेरोजगारी है, जिस पर मौजूदा सरकार घिरती नज़र आ रही है, लेकिन मुद्दों को डायवर्ट करने के लिये सरकार ने अपने साईबर योद्धाओं को काम पर लगा दिया है कि लोगों का ध्यान बंग्लादेश और रोहिंग्या के नाम पर भटकाईए।
सोचिए! नौकरी किसे मिलती है? उसे ही तो जिसके पास में डिग्री होती है. क्या म्यांमार से जान बचाकर भारत में शरण लेने वाले रोहिंग्या के लिये देश में कोई नौकरी है? क्या उनके पास कोई डिग्री, अथवा सर्टिफिकेट है? लेकिन सत्ताधारी दल का आई.टी. सेल लोगों को गुमराह करने में लगा हुआ है। मौजूदा सरकार की मुसलमानों को ‘टाईट’ रखने की जो नीति रही है, यह देश उसी की क़ीमत चुका रहा है.
बेरोजगारी लगातार बढ़ती जा रही है, काम धंधे चौपट हो रहे हैं, सरकारी कंपनियों का निजीकरण कराया जा रहा है, रेलवे प्लेटफार्म की तीन रुपये की टिकट पचास रुपये की कर दी गई, लेकिन जनता को मुसलमान नाम की थपकी देकर सुलाया जा रहा है। मौजूदा सत्ताधारी बहुत शातिर हैं, उन्हें मालूम है कि जनता को कैसे गुमराह करना है, कैसे समाज में विभाजन करना है। वो अपने इस षड़यंत्र में सफल है, लेकिन देश किसी समुदाय विशेष को ‘टाईट’ रखने की क़ीमत चुका रहा है।