देश नशे में है और हमारे 40 हज़ार जवान जंग की पूरी तैयारी के साथ LAC पर खड़े हैं?
सौमित्र रॉय
अक्टूबर सिर पर है। लेह में अभी रात का पारा 9℃ पर है। लेह से 250 किमी आगे का हाल समझ सकते हैं। देश नशे में है और हमारे 40 हज़ार जवान जंग की पूरी तैयारी के साथ LAC पर खड़े हैं।
17 हज़ार फ़ीट की ऊंचाई पर। जल्द ही वहां दूर तक सफ़ेद हो जाएगा लेकिन उस सफेद चादर के नीचे हर कदम पर मौत है। सर्दियों में LAC पर औसत तापमान -20℃ रहता है। सियाचिन में अगर बर्फीले तूफ़ान और हिम स्खलन का जोखिम है तो LAC में 60 किमी रफ्तार वाली बर्फीली हवाओं का।
इधर मोदी सरकार किसानों से जूझने की तैयारी कर रही है तो उधर LAC पर सेना अपने जवानों के लिए रहने, खाने और हथियारों को चालू रखने के लिए दुनिया के सबसे बड़े अभियान में जुटी है।
दुनिया के सबसे ठंडे रेगिस्तान में सर्दी के दौरान उड़ती धूल भी ज़िस्म पर चाकू चला देती है। जवानों के लिए एन्हांस्ड वेदर स्टॉकिंग्स चाहिए। पीठ पर 18 किलो वजन रखकर और 8 किलो का सूट पहनकर चलना मतलब पूरे देश का बोझ उठाना है।
उस पर जब भीतर पसीना आता है तो वह बर्फ बन जाता है। उंगलियां गला देता है। आप पेशाब तक नहीं कर सकते। लिहाज़ा पानी और भोजन न्यूनतम लिया जाता है। ये परेशानी और बढ़ा देता है।
2010 से 2019 के बीच 901 जवान खुदकुशी कर चुके हैं। 90 दिन की इस ज़िन्दगी में हर कदम पर इतनी दुश्वारियां हैं कि हौसला टूट जाता है। इस साल सर्दियां जल्दी शुरू होंगी, देर तक रहेगी और आर्कटिक ब्लास्ट, ला नीना के चक्कर में और कड़ाके की होगी।
इन हालात में जवानों के ठंडे पड़ते जिस्म में गर्मी लाने के लिए एक ही नारा होता है- भारत माता की जय।
ये सियासत है, वरना कोई अपनी खुशी से दुनिया के सबसे सर्द रेगिस्तान में पहरे पर थोड़े जाता है? याद रहे- पिछले साल सियासतदानों ने खुद को चौकीदार बताया था। 😂😂