शिवाकांत अवस्थी महराजगंज/रायबरेली: तहसील प्रशासन ने लगभग 40 वर्ष पूर्व ग्राम समाज असहन जगतपुर में तालाबों को खेती की जमीन दिखाकर अवैध र...
शिवाकांत अवस्थी
महराजगंज/रायबरेली: तहसील प्रशासन ने लगभग 40 वर्ष पूर्व ग्राम समाज असहन जगतपुर में तालाबों को खेती की जमीन दिखाकर अवैध रूप से 32 लोगों को पट्टा कर दिए जाने का मामला सामने आने पर कार्यवाही शुरू कर दी है। तहसीलदार विनोद कुमार सिंह के निर्देश पर हल्का लेखपाल तथा कानूनगो ने पत्रावलियों को निकलवा कर पुराने अभिलेखों से उनका मिलान कराया, तब जाकर यह बहुत बड़ी त्रुटि पकड में आई है। अब तालाब की जमीन को कब्जे दारों से मुक्त कराने का अभियान छेड़ा जायेगा। इसी क्रम में तहसीलदार ने उप जिलाधिकारी के माध्यम से 32 लोगों को गलत ढंग से किए गए आवटन के माध्यम से वितरित की गई 45 बीघे जमीन को मुक्त करने के लिए जिला अधिकारी को अपने रिपोर्ट संस्तुति सहित भेजी है। मामले के प्रकाश में आने पर ग्रामीणों ही नहीं बल्कि पट्टा करने और कराने में शामिल रहे लोगों में खलबली मच गई।
आपको बता दें कि, मिली जानकारी के मुताबिक तहसील क्षेत्र के कई गांव ऐसे है, जिनमें हेराफेरी करवा कर तालाब की सुरक्षित जमीन को असंक्रमणीय भूमि दिखाकर बड़े पैमाने पर संबंधित भूमि प्रबंधन समितियों में लोगों को पट्टे पर आवंटित करवा दिए थे। ऐसा ही एक मामला तहसील क्षेत्र के असहन जगतपुर का प्रकाश में आया, तो तहसीलदार विनोद कुमार सिंह ने इसकी तह में जाकर जांच कर रिपोर्ट उनके समक्ष पेश करने के निर्देश दिए। सहायक रजिस्ट्रार कानूनगो रमेश कुमार पटेल ने बताया कि, जांच पड़ताल में यह बात सही पाई गई, कि गांव सभा की लगभग 40 से 45 बीघा जमीन, जो पुराने कागजातों में तालाब के नाम पर दर्ज थी। उसे 1975 से लेकर 80 और 82 तक लगभग 32 लोगों के नाम जमीन का आवंटन कर दिया गया, और लोगों ने उस पर खेती भी शुरू कर दी।
सरकारी अभिलेखों में भी यह जमीने पट्टेदारों के नाम अंकित कर दी गई थी, जब मामले की पूरी जांच की गई, तो असलियत सामने आ गई। उन्होंने बताया कि, सुप्रीम कोर्ट के कड़े निर्देश हैं कि, तालाब की भूमि श्रेणी परिवर्तन किसी भी दशा में नहीं किया जा सकता है, ना ही उसे कृषि कार्य के लिए पट्टे पर दिया जा सकता है। रिपोर्ट सामने आने के बाद तहसीलदार ने उप जिलाधिकारी के माध्यम से 32 कास्तकारों के नाम की गई लगभग 45 बीघा भूमि का आवंटन रद्द किए जाने की रिपोर्ट भेजी जा रहा है। जिलाधिकारी की हरी झंडी मिलने के बाद पूरी जमीन खाली कराकर अभिलेखों में भी तालाब दर्ज करा दिया जाएगा।