मंदी के दौर में ई कॉमर्स बहुत तेजी से पाँव पसार रहा है, 5 महीनों में बंद हुईं रिटेल की 20 प्रतिशत दुकानें
गिरीश मालवीय
आप अपने आसपास देखे तो जो दुकानें आपको प्रमुख रूप से नजर आती है उन रिटेल शॉप का धंधा अब मंदा होने वाला है ........मंदी के दौर में ई कॉमर्स बहुत तेजी से पाँव पसार रहा है कल जो कैट ने अपनी रिपोर्ट में 5 महीनो में 20 प्रतिशत दुकानें बन्द होने की वजह बताई है उसकी एक वजह ई कॉमर्स को भी बताया है कुछ ही दिनों में इसका सबसे बड़ा असर असर दवा की दुकानों पर पड़ेगा.....
रिटेलर्स और फ़ार्मासिस्ट का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्थाओं ने अब सरकार की ई फार्मेसी पॉलिसी में संभावित बदलाव को देखते हुए लाखों लोगों का रोज़गार छिनने को लेकर चिंता जताई है. पहले उन्होंने अमेजन को पत्र लिखा था अब वह रिलायन्स को पत्र लिख रहे हैं
ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ़ केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन ने रिलायंस के मुकेश अंबानी को पत्र लिखकर उनके ई फार्मेसी संस्थान नेटमेड्स में निवेश को लेकर आपत्ति जताई है.
ई-फ़ार्मेसी प्लेटफ़ॉर्म्स के वर्किंग मॉडल से लाखों रिटेलर्स और फ़ार्मासिस्ट की नौकरियां जा सकती हैं. उनका कारोबार बंद पड़ सकता है. इंडियन फ़ार्मासिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष अभय कुमार कहते हैं कि ई-फ़ार्मा प्लेटफ़ॉर्म का जो वर्किंग मॉडल है वो फ़ार्मासिस्ट की नौकरियों को धीरे-धीरे ख़त्म कर देगा.
अभय कुमार कहते हैं, “ई-फ़ार्मा प्लेटफॉर्म्स अपने स्टोर, वेयरहाउस या इनवेंट्री बनाएंगे, जहां वो सीधे कंपनियों या वितरक से दवाएं लेकर स्टोर करेंगे और फिर ख़ुद वहां से दवाइयां सप्लाई करेंगे. ऐसे में जो स्थानीय केमिस्ट की दुकान है उसकी भूमिका ख़त्म हो जाएगी'
बड़े छोटे केमिस्ट समझ गए हैं कि अब उनके धंधे पर गहरी चोट अमेज़न ओर रिलायन्स दोनों ही डालने वाले है ई-फ़ार्मा कंपनियां जिस तरह ज़्यादा डिस्काउंट देती हैं एक छोटा रिटेलर उनसे मुक़ाबला नहीं कर पाएगा.
जैसे इलेक्ट्रॉनिक मार्केट मोबाइल आदि को ई कामर्स वालो ने अपने कब्जे में लिया गया वैसे ही फार्मेसी भी उनके हाथ मे चला जाएगा मोदी सरकार का रुख स्पष्ट है वह इन मेगा कंपनियों के साथ खड़ी हुई है अब जो कोरोना काल मे जो टेलीमेडिसिन को सपोर्ट देने के लिए नीतियां बनाई जा रही है वह ई फार्मेसी को मार्केट में स्टेबलिश कर देगी