500 रूपये की रिश्वत न देने पर नाल से फांसी के फंदे की तरह लटका रहा नवजात, मां का फट पड़ा कलेजा
भरतपुर। बिना रिश्वत 'सेवा' नहीं करने की जिद एक प्रसूता और उसके नवजात बच्चे की जिंदगी पर भारी पड़ गई। यह शर्मनाक खबर राजस्थान के चिकित्सा राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग के विधानसभा क्षेत्र के जनाना अस्पताल की है।
एक नवजात प्रसव के बाद अपनी मां के गर्भाशय से जुड़ी नाल के जरिए करीब ढाई फीट नीचे जमीन पर लटक गया। नवजात को जन्म देने से पहले मां ने कभी ऐसा सोचा भी नहीं होगा कि उसके उस बच्चे जिसे उसने नौ महीने तक अपने गर्भ में खून से सींचा उसे उसके गर्भ से जन्म लेते ही इतनी अमानवीयता का सामना करना पड़ेगा, लेकिन ऐसा हुआ, क्योंकि कुछ लोग 500 रुपए के लालच में अपनी इसानियत भूल गए थे। जिसका खामियाजा एक मां और उसके नवजात को कफी पीड़ा सहन कर भुगतना पड़ा।
दरअसल, जिले के जनाना अस्पताल में मानवीय संवेदनाओं को तार-तार करने वाली घटना ने वहां मौजूद हर शख्स को झकझोर दिया। निशुल्क सेवा के लिए चल रही एंबुलेंसकर्मी ने 500 रुपए के लिए प्रसूता को काफी देर तक एंबुलेंस में ही उलझाए रखा। इससे अस्पताल के गेट पर ही उसका प्रसव हो गया। इस दौरान नवजात नाल के जरिए करीब ढाई फुट नीचे जमीन पर लटक गया। गमीनत यह रही कि वहां परिजनों ने उसे तुरंत संभाल लिया।
अलवर के डेडकी निवासी संगीता (25 ) पुत्री राजू जाटव श्रीपुर स्थित अपने पीहर में रह रही थी। प्रसव होने पर उसे डीग अस्पताल लाया गया। यहां से डॉक्टरों ने भरतपुर के जनाना अस्पताल रैफर कर दिया। डीग अस्पताल से 104 एंबुलेंस से परिजन प्रसूता को लेकर अस्पताल के लिए रवाना हुए। रास्ते में उसे पीड़ा और बढ़ गई। एंबुलेंस सेवा निशुल्क होने के बाद भी एंबुलेंसकर्मी ने जनाना अस्पताल पहुंचते ही महिला के परिजनों से 500 रुपए भाड़ा मांगा।
संगीता के साथ आई महिला ने उसे थोड़ी देर इंतजार करने को कहा, लेकिन वह काफी देर तक जल्द से जल्द रुपए देने की जिद पर अड़ा रहा। उसके नहीं मानने पर महिला ने उसे रुपए दे दिए। इस बीच काफी समय खराब हो जाने के कारण अस्पताल के गेट पर रखे स्ट्रेचर पर लिटाने से पहले ही प्रसूता को खड़े-खड़े प्रसव हो गया। इस दौरान करीब ढाई फीट ऊंचाई से नवजात नाल के जरिए जमीन पर लटक गया। यह दृश्य देख वहां भीड़ इकट्ठा हो गई, लेकिन अस्पताल को कोई स्टाफ नहीं आया।
काफी देर शोर-शराबा होने के बाद ड्यूटी स्टाफ आया और मोबाइल से वीडियो बना रहे व्यक्ति को फटाकरा। इसके बाद प्रसूता को पोस्ट नेटल केयर वार्ड तीन में भर्ती कर लिया गया था। लेकिन, सुबह 8 बजे ओपीडी में डॉक्टरों के राउंड से पहले ही प्रसूता और उसका नवजात शिशु वहां से जा चुके थे। अस्पताल प्रशासन ने बताया कि स्टाफ अन्य मरीजों की देखभाल में व्यस्त था। प्रसूता के परिजन बिना बताए उसे लेकर चले गए।
जनाना अस्पताल के प्रभारी डॉक्टर रूपेंद्र झा ने कहा प्रसूता को स्ट्रेचर पर लेने के लिए ट्रॉली पुलर तैयार खड़ा था। प्रसव होने की सूचना मिलते ही स्टाफ तुरंत पहुंच गया था। स्टाफ ने कोई लापरवाही नहीं की। स्टाफ प्रसव से पहले क्यों नहीं पहुंचा। एंबुलेंस कर्मचारी ने उनसे 500 रुपए क्यों लिए? इसके जवाब में झा ने कहा कि इस मामले की जांच की जाएगी। जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी।