सरकार के पास न प्रवासी मजदूरों की मौत का आंकड़ा है और न मुआवजा
गिरीश मालवीय
क्या ग़जब की बेशर्मी है, श्रम मंत्रालय खुद मान रहा है कि लॉकडाउन के दौरान 1 करोड़ से ज्यादा प्रवासी मजदूर देशभर के कोने कोने से अपने गृह राज्य पहुंचे हैं. लेकिन उसके पास इस यात्रा के दौरान हुई प्रवासी मजदूरों की मौत का आंकड़ा नहीं है, ऐसे में किसी भी तरह मुआवजा देने का 'सवाल ही नहीं उठता है'. यह बात उसने आज सदन में कुबूल की है
विपक्ष ने संसदीय सत्र में श्रम मंत्रालय से पूछा कि क्या सरकार के पास अपने गृहराज्यों में लौटने वाले प्रवासी मजदूरों का कोई आंकड़ा है? विपक्ष ने सवाल में यह भी पूछा था कि क्या सरकार को इस बात की जानकारी है कि इस दौरान कई मजदूरों की जान चली गई थई और क्या उनके बारे में सरकार के पास कोई डिटेल है? साथ ही सवाल यह भी था कि क्या ऐसे परिवारों को आर्थिक सहायता या मुआवजा दिया गया है?
इसपर केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने अपने लिखित जवाब में बताया कि 'ऐसा कोई आंकड़ा मेंटेन नहीं किया गया है. ऐसे में इसपर कोई सवाल नहीं उठता है.' जबकि हम सभी जानते है कि हजारों लोग सफर करते दौरान मारे गए
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