दिल्ली में झुग्गी बस्तियां नही तोड़ने देगी केजरीवाल सरकार
Shakeeb Rahman
48 हज़ार झुग्गियों को तोड़ने का फैसला देते समय जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा था कि इस मुद्दे पर किसी अदालत में सुनवाई नहीं की जा सकती है और किसी तरह की राजनीतिक दबाव और दखलंदाजी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा...
उनके आदेश पर अमल शुरू भी हो गया जब लोगों के घरों पर नोटिस चिपकाया जाने लगा , अब आम आदमी पार्टी आगे आई है और दो टूक शब्दों में कहा कि वो किसी भी झुग्गी को तोड़ने नहीं देगी.....आप नेता राघव चड्डा ने तो नोटिस तक फाड़ दिया.......चलो कोई तो जागा....
वैसे दो कारणों ये फैसला ही अपने आप मे गलत है.......
पहला ....आप बिना पुनर्वास का आदेश दिए कैसे लाखों लोगों को उजाड़ने का आदेश दे सकते है ये फैसला अपने आप में असंवेदनशील है....क्योंकि कोई भी फैसला सिर्फ़ मैरिट के आधार पर नहीं दिया जा सकता है उसमें मानवीय बिन्दुओ का ख्याल रखना भी ज़रूरी है....
दूसरी बात....किसी भी फैसले में ये शर्त कैसे जोड़ी जा सकती है कि इस पर कोई और सुनवाई नहीं कर सकता है....न्याय का नैसर्गिक नियम कहता है कि पहले से ऊपर कोर्ट में अपील की जा सकती है .....इस आधार पर यह फैसला लोगों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन भी है जो लोगों को अपने हक़ के लिए न्यायालय की शरण मे जाने का अधिकार देता है....
फिर जनता से जुड़ा फैसला है तो क्यों राजनीतिक दल इस मुद्दे पर बात नहीं कर सकते ?.....जनता की समस्याओं पर राजनीतिक दलों को दबाव बनाने का हक़ भी है और कर्तव्य भी....
खैर ....अब आम आदमी पार्टी ने ताल ठोक दी है तो उम्मीद की जानी चाहिए कि अन्य राजनीतिक दल भी इन झुग्गी वालों के समर्थन में आगे आएँगे और झुग्गियों के लाखों गरीब लोगों के साथ इंसाफ होगा..