अफसोस इस बात का है भारतीय मीडिया के जो मीडिया संस्थान फेक न्यूज़ फैलाते हैं और पकड़े जाने पर माफी भी नहीं मांगते?
वसीम अकरम त्यागी
भारतीय मीडिया इस देश की हर समस्या को ‘राष्ट्रवाद’ की घुट्टी पिलाकर, और सेना के ‘शौर्य’ के क़िस्से सुनाकर दबाना चाहता है। 31 अगस्त ‘आज तक’ समेत कई ‘राष्ट्रवादी’ चैनल्स ने गलवान में मारे गए चीन के सैनिकों की क़ब्रें दिखाते हुए वीडियो चलाया। आज तक के एंकर रोहित सरदाना ने इस वीडियो को ट्वीट करते हुए लिखा कि ‘गलवान में मारे गए चीनी सैनिकों की क़ब्रों की तस्वीरें हैं।
जिसको गिनना हो गिन ले. और दोबारा सुबूत माँग कर भारतीय सेना के शौर्य पर सवाल न उठाए।’ ऑल्ट न्यूज़ ने इस वीडियो का पर्दाफाश करते हुए बताया कि यह वीडियो 2012 का है। यानि यह साबित हो गया कि आठ साल पुराने वीडियो को वर्तमान में प्रसारित करने का मक़सद कुछ और नहीं बल्कि सेना के ‘शौर्य’ के नाम पर मूल मुद्दों से जनता को भटकाना था।
और ‘भक्त लॉबी’ को यह संदेश देना था कि हमने अपने 22 जवानों की शहादत का बदला ले लिया है। बहरहाल अब जब मीडिया की चोरी पकड़ी जा चुकी है तो मीडिया संस्थानों को फेक न्यूज़ चलाने के लिये माफी मांगनी थी, और डिजिटल प्लेटफार्म से उस ख़बर को डिलीट करना था। लेकिन विडंबना देखिए न तो माफी मांगी गई और न ही उस ख़बर को डिलीट किया गया।
चैनल की इस बेशर्मी से साबित हो गया कि फेक न्यूज़ गलती से नही फैलाई जाती बल्कि जान बूझकर फैलाई जाती है। लेकिन अफसोस इस बात का है भारतीय मीडिया के जो मीडिया संस्थान फेक न्यूज़ फैलाते हैं, और पकड़े जाने पर माफी भी नहीं मांगते, उन्हीं संस्थानों को फैक्ट चैक करने का 'ठेका' भी मिला हुआ है।