कोरोना का इतिहास मोदी सरकार को कभी माफ नहीं करेगा?
सौमित्र रॉय
कोरोना काल में लॉकडाउन के वक्त की बात है। स्वास्थ्य मंत्रालय में एक बड़े अफसर हैं। आपको उनका प्यारा सा नाम याद होगा- लव अग्रवाल।
वे हर रोज शाम को मीडिया से मुखातिब होते और ईश्वरीय ज्ञान बांटकर चल देते। 3 मई 2020 को उन्होंने एक ऐसी बात कही कि आज वाकई ईश्वरीय आकाशवाणी नजर आती है।
उन्होंने कहा कि अभी (उस समय) तो कोरोना का ग्राफ समानांतर है। अगर ‘’सब मिलकर कोशिश करें’’ तो महामारी का उच्चतम शिखर कभी नहीं आएगा। बाद में उन्हें भी कोरोना हो गया।
वाकई, सभी ने मिलकर इस कदर कोशिश की है कि अगले 24 घंटे में भारत दुनिया को कोरोना के 50 लाख मरीज़ देने जा रहा है। देशव्यापी लॉकडाउन को लगाए 6 महीने से ज्यादा हो रहे हैं। अनलॉक 4 चल रहा है। लेकिन रोज 92 हजार से ज्यादा मरीज आ रहे हैं।
ग्राफ देखें तो अमेरिका और ब्राजील में नए मरीजों का ग्राफ लगातार गिर रहा है और हम विश्वगुरू बने हुए हैं। अब कोविड की महामारी भारत के गांवों में फैल रही है, जहां न्यूनतम चिकित्सा सुविधाओं के साथ भारत की 70 फीसदी आबादी रहती है।
फिर भी मोदी सरकार इसे महामारी का सामुदायिक प्रसार नहीं मानती। मोदी सरकार यह भी कभी नहीं मानेगी कि लॉकडाउन संक्रमण के प्रसार को रोकने में नाकाम रही। लेकिन कोरोना का इतिहास मोदी सरकार को कभी माफ नहीं करेगा।
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