सियासी बुलडोजर के निहितार्थ !
ध्रुव गुप्त
अभिनेत्री कंगना से वैचारिक मतभेद और उसके कई बयानों से असहमति के बावज़ूद मुझे लगता है कि महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार ने उसके साथ बदले की जैसी क्रूर कार्रवाई की है, वह बेहद अलोकतांत्रिक, बर्बर और शर्मनाक है।
कंगना ने मुंबई या शिवसेना के बारे में कुछ गलत कहा है तो उसके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई के विकल्प खुले थे। एक लोकतांत्रिक सरकार से ऐसे बचकाने और अपरिपक्व व्यवहार की उम्मीद किसी को नहीं थी।
शिवसेना के लोगों ने कंगना को अभद्र शब्द कहकर और उसका पक्ष सुने बगैर उसके आफिस पर बुलडोजर चलाकर उसका कुछ बिगाड़ा नहीं, उसका राजनीतिक भविष्य ही संवारा है। जल्द ही भाजपा की मदद से वह राज्यसभा पहुंचेगी और शायद मंत्री भी बन जाय। हां, शिवसेना ने लोकतंत्र, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और अपने भविष्य पर भी बुलडोजर ज़रूर चला लिया है।
ज़ाहिर है, कंगना के लिए सुलगाई गई इस आग में महाराष्ट्र की शिवसेना-कांग्रेस- एन.सी.पी की बेमेल सरकार भी साबुत नहीं बच पाएगी।
अभिनेत्री कंगना से वैचारिक मतभेद और उसके कई बयानों से असहमति के बावज़ूद मुझे लगता है कि महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार ने उसके साथ बदले की जैसी क्रूर कार्रवाई की है, वह बेहद अलोकतांत्रिक, बर्बर और शर्मनाक है।
कंगना ने मुंबई या शिवसेना के बारे में कुछ गलत कहा है तो उसके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई के विकल्प खुले थे। एक लोकतांत्रिक सरकार से ऐसे बचकाने और अपरिपक्व व्यवहार की उम्मीद किसी को नहीं थी।
शिवसेना के लोगों ने कंगना को अभद्र शब्द कहकर और उसका पक्ष सुने बगैर उसके आफिस पर बुलडोजर चलाकर उसका कुछ बिगाड़ा नहीं, उसका राजनीतिक भविष्य ही संवारा है। जल्द ही भाजपा की मदद से वह राज्यसभा पहुंचेगी और शायद मंत्री भी बन जाय। हां, शिवसेना ने लोकतंत्र, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और अपने भविष्य पर भी बुलडोजर ज़रूर चला लिया है।
ज़ाहिर है, कंगना के लिए सुलगाई गई इस आग में महाराष्ट्र की शिवसेना-कांग्रेस- एन.सी.पी की बेमेल सरकार भी साबुत नहीं बच पाएगी।