सरकारी नौकरियों का ‘अकाल’, सोशल मीडिया पर युवाओं का बवाल
नई दिल्ली। सीएमआईई के मुताबिक कोरोना संकट में कामकाज ठप होने के चलते अप्रैल महीने में 1.77 करोड़ कर्मचारियों की नौकरी चली गई। मई 2020 में करीब एक लाख जबकि, जून में लगभग 39 लाख और जुलाई में करीब 50 लाख लोगों की नौकरी चली गई है।
बड़ी बात यह है कि कोरोना संकट के सबकुछ रोक दिया था। परीक्षाओं पर भी इसका पड़ा था। सरकारी नौकरियों की तैयारी करने वाले युवाओं को रिजल्ट का इंतजार है तो किसी को नियुक्ति की टेंशन है। कोई एग्जाम की डेट का इंतजार कर रहा था तो किसी ने तैयारियां रोक रखी है। खास बात यह है कि सोशल मीडिया के जरिए युवा अपनी बातों को रख रहे हैं. #StopPrivatisation #SpeakUpForSSCRailwayStudents #SaveGovtJob ट्रेंड कराकर युवा नौकरी की बात कर रहे हैं।
नौकरियां घट रही हैं, जीडीपी पाताल में घुस गई है और भविष्य पर लगा है क्वेश्चन मार्क? बेचैनी ऐसी है कि जो युवा सालों से सरकारी नौकरियों की तैयारी में जुटे थे, कोई रिजल्ट की प्रतीक्षा कर रहा था, कोई नियुक्ति की तो कोई एग्जाम के डेट की, ऐसे सारे युवा अपने भविष्य को लेकर आशंकित नजर आ रहे हैं।
भरोसा इस कदर कम हुआ है कि #StopPrivatisation_SaveGovtJob ट्रेंड कराकर ये अपना डर बता रहे हैं कि कहीं सरकारी नौकरियों को प्राइवेट हाथों में न दे दिया जाए। कोरोना महामारी है, लॉकडाउन है तो ये सड़क पर नहीं उतर सकते। ‘परंपरागत मीडिया’ में इनकी बात को तवज्जों नहीं मिल रही है, ऐसे में ये डिजिटल कैंपेन में जुटे हैं, ताकि अपनी आवाज ‘जो भी सुन सकता है’ उसे सुना सकें।
पूरा हफ्ता #SpeakUpForSSCRailwayStudents और #StopPrivatisation_SaveGovtJob ये दोनों हैशटैग ट्विटर पर छाए रहे। कई पार्टियों की युवा यूनिट्स का भी इसे समर्थन मिला। इस हैशटैग और कैंपेन के जरिए छात्र ये मांग रख रहे हैं कि उनकी SSC, रेलवे की परीक्षाओं में जो लेटलतीफी, अनियमितता हो रही है, उसे दूर किया जाए और सरकारी नौकरियों को प्राइवेट हाथों में जाने से रोका जाए।
एक उदाहरण देखिए, एसएससी के द्वारा कराई जा रही सीजीएल 2018 की परीक्षा 2 साल से ज्यादा समय से अटकी पड़ी है जबकि रेलवे की परीक्षा 18 महीने से। अब ये छात्र कह रहे हैं कि NEET, JEE की परीक्षाओं के दौरान महामारी की सभी बाधाओं को पार कर लिया गया, एग्जाम कराए जा रहे हैं, तो इनकी परीक्षाओं में आखिर देरी क्यों हो रही है?
जो युवा SSC-CGL की तैयारी करते हैं वो कहते हैं कि 2018,2019 के एग्जाम नहीं हुए हैं, 2020 की नौकरियों के नोटिफिकेशन तक नहीं आए हैं , सरकार क्या करना चाह रही है कुछ समझ नहीं आता। वेकैंसी का हाल ये है कि IBPS क्लर्क की भर्ती जो पहले 20-20 हजार पदों पर होती थी, अब घटकर 4 हजार के आसपास हो गई है। युवा एक तर्क और देते हैं, उनका कहना है कि सरकार कह रही है प्राइवेट कंपनियों में जो छंटनी कटौती हो रही है, उसे हम (सरकार) नहीं रोक सकते, अब जब सरकारी चीजों का प्राइवेटाइजेशन हो जाएगा तो हमें नौकरियां कैसे मिलेंगी?
सभी #SpeakUpForSSCRailwayStudents हैशटैग में हिस्सा ले रहे हैं। युवाओं ने लोगों से भी अपील की कि वे इस हैशटैग को भारत के कोने कोने तक पहुँचाने के लिए मदद करें ताकि भारत सरकार की आँखें खुल सके और वे युवाओं का दर्द देख सकें। उनके द्वारा चलाई गई इस मुहीम को लोगों ने हाथों हाथ लिया और सभी ने मिलकर लाखों ट्वीट किए।
ये एक नंबर पर भी ट्रेंड कर रहा था, ट्वीट इतनी संख्या में आए कि वैश्विक स्तर पर भी ये ट्रेंड करने लगा। छात्रों की मांग को लगातार उठाने वाले संगठन युवा हल्लाबोल के को-ऑर्डिनेटर गोविंद मिश्रा कहते हैं कि देश में सरकारी नौकरियों में भर्ती परीक्षा को गंभीरता से नहीं लेनी की आदत सी होती जा रही है। इस हैशटैग के जरिए छात्र अपनी बात रख रहे हैं और उन्हें कई नेताओं, संगठनों का समर्थन भी मिल रहा है।
जुलाना के रहने वाले नरेंद्र गोस्वामी, रोहतक में रहकर SSC की तैयारी करते हैं। 2017 से अबतक की टाइम लाइन बताते हैं। उनका कहना है कि साल 2018 में करीब 35 दिनों का प्रोटेस्ट दिल्ली में SSC के खिलाफ हुआ था, उस प्रोटेस्ट के बाद जांच शुरू हुई लेकिन नतीजा क्या रहा, अब तक नहीं पता. 2018 में SSC का जो नोटिफिकेशन आया था दिसंबर 2019 में उसके टीयर-थ्री का एग्जाम हुआ। नोटिफिकेशन से अब दो साल बाद भी टीयर-3 का रिजल्ट नहीं आ सका है।
इन छात्रों से बातचीत में एक बात और समझ में आई कि मसला सिर्फ लेटलतीफी का नहीं। एग्जाम में धांधलियों का भी है। पहले भी कई बार SSC पर धांधली के आरोप लगे हैं और अब भी कुछ छात्र इस एग्जाम सिस्टम पर पूरी तरह से भरोसा नहीं कर पा रहे हैं। ऑनलाइन परीक्षाओं के दौरान SSC के अलावा भी कुछ परीक्षाओं में धांधली की शिकायतें सामने आती रही हैं।
हरियाणा के करनाल के रहने वाले विकास शर्मा रेलवे ग्रुप-D और यूपी में भर्ती की परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। वो भी अपनी बातचीत में परीक्षा में देरी के साथ-साथ प्राइवेटाजेशन का डर बताते हैं। विकास कहते हैं, उदाहरण देखिए मार्च 2019 में यूपीपीसीएल ने करीब 4 हजार सीट पर टेक्नीशियन लाइनमैन के लिए वैकेंसी निकाली थी।
जुलाई में भर्ती को कैंसिल कर दिया। 2020 में इसका विरोध हुआ तो महज 608 पोस्ट की वेकैंसी निकाली गई। ये लोग प्राइवेटाइजेशन में लगे हैं। छात्रों की बड़ी चिंता ये है कि प्राइवेट सेक्टर में नौकरियां नहीं मिलेंगी और सरकारी नौकरियां भी नहीं आएंगी तो वो जाएं तो कहां जाएं।