म्यूज़ियम का सिर्फ़ नाम बदलने से कुछ नहीं होगा, ईरानी वास्तुकला निरंतर परवान चढ़ रही है?
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Tehran's "Tabiat Bridge" designed by an Iranian woman architect "Leila Araghian" Tabiat Bridge (the 270 meter structure) is the largest of its kind in Iran. |
युसूफ किरमानी
भारत में जिन इमारतों को मुग़ल काल की इमारतें बताया जाता है, दरअसल अधिकांश ईरानी वास्तुकला का नमूना हैं। हर मुगल या ख़िलजी बादशाह के दौर में ईरानी कारीगर भारत आते रहे और अपनी कल्पनाओं को यहाँ शक्ल देते रहे। उत्तर से दक्षिण कहीं भी चले जाइए, आपको सभी इमारतों में ईरानी वास्तुकला ही मिलेगी।
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Another view of the Bridge |
...और ईरानी वास्तुकला (Irani Architecture ) लगातार आगे बढ़ रही है। उसने आधुनिकता को अपना लिया है। अब भारत में मुग़ल तो हैं नहीं जो ईरानी वास्तुविदों को बुलाकर नई इमारतें बनवायें लेकिन ईरान में तो काम जारी है।
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This is drone view |
आज आपको ईरानी वास्तुकला के ताज़ा नमूने से रूबरू करवाता हूँ।
यह ईरान की राजधानी तेहरान का “तबियत ब्रिज” है। हम लोग आम बातचीत में तबियत शब्द का इस्तेमाल ख़ूब करते हैं। आपकी तबियत कैसी है ? तबियत फ़ारसी भाषा का शब्द है। उसी तबियत पर यह तबियत ब्रिज है। वाक़ई यहाँ आने पर तबियत ख़ुश हो जाती है। ईरानी तो कई बार तबियत ब्रिज पर पिकनिक मनाने पहुँच जाते हैं। ....और जानते हैं इस तबियत ब्रिज को ईरान के किस वास्तुविद ने तैयार किया है। वह वास्तुविद एक महिला है। नाम है - लैला अरघियान (Leila Araghian)।
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Most of the Irani picnic here. |
ईरान पर अमेरिकी साम्राज्यवादी तमाम पाबंदियाँ हैं। तमाम देशों ने ईरान के अरबों-खरबों रूपये मारे हुए हैं लेकिन ईरान में सभी काम धीरे धीरे चल रहे हैं।
....तो भारत से ईरानी वास्तुकला को योगी-ढोंगी जैसे लोग कभी ख़त्म नहीं कर पायेंगे। म्यूज़ियम का सिर्फ़ नाम बदलने से कुछ नहीं होगा। ईरानी वास्तुकला निरंतर परवान चढ़ रही है।
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Irani people celebrate on this bridge |