मकान बनवाने का नक्शा पास कराने के लिए अधिकारियों ने मांगे 8 लाख, जानिए पूरा मामला
बांदा। अगर आप अपना नया मकान बनवाने जा रहे हैं तो नक्शा पास कराने के लिए आपको 8 लाख रुपए तक खर्च करने पड़ सकते हैं। जब नक्शा पास कराने में ही 8 लाख खर्च हो जाएंगे तो फिर मकान की कल्पना कैसे की जा सकती है?
यह अंधेरगर्दी बांदा विकास प्राधिकरण ने की है। किसी नागरिक के साथ अगर यह गड़बड़ी की गई होती तो अलग बात थी। मामला नगर पालिका परिषद बांदा के अध्यक्ष मोहन साहू की पत्नी श्रीमती गीता देवी से जुड़ा है। इस बारे में नगर पालिका अध्यक्ष मोहन साहू ने बताया मैंने अपनी पत्नी गीता देवी के नाम से शमन मानचित्र स्वीकृत किए जाने हेतु विकास प्राधिकरण में आवेदन किया गया था।
विकास प्राधिकरण में मानचित्र बनाने वाले सलमान द्वारा 15 हजार रुपये जमा करने की बात कही गई थी और 29 जुलाई 2020 को बांदा विकास प्राधिकरण द्वारा शमन शुल्क जमा किए जाने हेतु 4 प्रतियों में ढाई लाख का का चालान मुझको प्राप्त कराए गए, जिस पर मैंने आपत्ति की तो सलमान एवं रवि गुप्ता अवर अभियंता द्वारा दूरभाष के माध्यम से अवगत कराया गया कि आपका शमन शुल्क ढाई लाख रुपए बनता है। उक्त धनराशि आप बांदा विकास प्राधिकरण के खाते में जमा कर दें तो आपको मानचित्र स्वीकृत कर दिया जाएगा।
इस बारे में विकास प्राधिकरण के सचिव नगर मजिस्ट्रेट सुरेंद्र सिंह ने भी दूरभाष के माध्यम से मुझे आश्वासन दिया गया कि आप शुल्क की धनराशि ढाई लाख रुपए जमा करें। इसके उपरांत आपके भवन का मानचित्र स्वीकृत कर दिया जाएगा। तब मैंने 28 अगस्त को ढाई लाख रुपए चालान के माध्यम से बांदा विकास प्राधिकरण के खाता में जमा कर दिया।
उक्त चालान बांदा विकास प्राधिकरण द्वारा ही भर कर मुझे प्राप्त कराया गया था। इसके बाद भी विकास प्राधिकरण द्वारा भवन मानचित्र स्वीकृत न करके कार्यालय द्वारा 2 सितंबर 2020 पत्रांक से मेरी पत्नी गीता देवी को 4 सितंबर को एक नोटिस प्राप्त कराई गई जिसके द्वारा पर्यवेक्षण शुल्क, अंबर शुल्क, शुद्धीकरण शुल्क समन शुल्क एवं लेबरसेस हेतु कुल धनराशि 805419.75 रुपए 15 दिन के अंदर जमा किए जाने के निर्देश दिए गये।
नगर पालिका अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि सचिव द्वारा 3 सितंबर को उक्त नोटिस में हस्ताक्षर किए गए हैं जबकि उक्त नोटिस मे पत्रांक दिनांक 2 सितंबर 2020 अंकित है जिससे स्पष्ट होता है कि सचिव द्वारा किसी अन्य राजनीतिक पार्टी के दबाव में एवं द्वेष भावना को लेकर मुझे मानसिक व आर्थिक रूप से परेशान किया जा रहा है।
इस संबंध में सिटी मजिस्ट्रेट से बात करने की कोशिश की गई लेकिन उनसे बात नहीं हो सकी।अगर भवन बनाने के लिए नक्शा पास कराने के लिए किसी व्यक्ति को 8 लाख रुपए अदा करने पड़े तो वह नए मकान की कल्पना कैसे कर सकता है?
यह अंधेरगर्दी बांदा विकास प्राधिकरण ने की है। किसी नागरिक के साथ अगर यह गड़बड़ी की गई होती तो अलग बात थी। मामला नगर पालिका परिषद बांदा के अध्यक्ष मोहन साहू की पत्नी श्रीमती गीता देवी से जुड़ा है। इस बारे में नगर पालिका अध्यक्ष मोहन साहू ने बताया मैंने अपनी पत्नी गीता देवी के नाम से शमन मानचित्र स्वीकृत किए जाने हेतु विकास प्राधिकरण में आवेदन किया गया था।
विकास प्राधिकरण में मानचित्र बनाने वाले सलमान द्वारा 15 हजार रुपये जमा करने की बात कही गई थी और 29 जुलाई 2020 को बांदा विकास प्राधिकरण द्वारा शमन शुल्क जमा किए जाने हेतु 4 प्रतियों में ढाई लाख का का चालान मुझको प्राप्त कराए गए, जिस पर मैंने आपत्ति की तो सलमान एवं रवि गुप्ता अवर अभियंता द्वारा दूरभाष के माध्यम से अवगत कराया गया कि आपका शमन शुल्क ढाई लाख रुपए बनता है। उक्त धनराशि आप बांदा विकास प्राधिकरण के खाते में जमा कर दें तो आपको मानचित्र स्वीकृत कर दिया जाएगा।
इस बारे में विकास प्राधिकरण के सचिव नगर मजिस्ट्रेट सुरेंद्र सिंह ने भी दूरभाष के माध्यम से मुझे आश्वासन दिया गया कि आप शुल्क की धनराशि ढाई लाख रुपए जमा करें। इसके उपरांत आपके भवन का मानचित्र स्वीकृत कर दिया जाएगा। तब मैंने 28 अगस्त को ढाई लाख रुपए चालान के माध्यम से बांदा विकास प्राधिकरण के खाता में जमा कर दिया।
उक्त चालान बांदा विकास प्राधिकरण द्वारा ही भर कर मुझे प्राप्त कराया गया था। इसके बाद भी विकास प्राधिकरण द्वारा भवन मानचित्र स्वीकृत न करके कार्यालय द्वारा 2 सितंबर 2020 पत्रांक से मेरी पत्नी गीता देवी को 4 सितंबर को एक नोटिस प्राप्त कराई गई जिसके द्वारा पर्यवेक्षण शुल्क, अंबर शुल्क, शुद्धीकरण शुल्क समन शुल्क एवं लेबरसेस हेतु कुल धनराशि 805419.75 रुपए 15 दिन के अंदर जमा किए जाने के निर्देश दिए गये।
नगर पालिका अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि सचिव द्वारा 3 सितंबर को उक्त नोटिस में हस्ताक्षर किए गए हैं जबकि उक्त नोटिस मे पत्रांक दिनांक 2 सितंबर 2020 अंकित है जिससे स्पष्ट होता है कि सचिव द्वारा किसी अन्य राजनीतिक पार्टी के दबाव में एवं द्वेष भावना को लेकर मुझे मानसिक व आर्थिक रूप से परेशान किया जा रहा है।
इस संबंध में सिटी मजिस्ट्रेट से बात करने की कोशिश की गई लेकिन उनसे बात नहीं हो सकी।अगर भवन बनाने के लिए नक्शा पास कराने के लिए किसी व्यक्ति को 8 लाख रुपए अदा करने पड़े तो वह नए मकान की कल्पना कैसे कर सकता है?