कंगना ज्यादा से ज्यादा स्मृति इरानी बन सकती है?
आवेश तिवारी
यह विक्षिप्त हो गई है मुझे डर है यह भी आत्महत्या न कर ले। यह हीरोइन अब उस गैंग का हिस्सा बन गई है जो देश मे हर अलोकतांत्रिक, जनविरोधी, असत्य लेकिन लोकप्रिय छिछले विचार को मुद्दा बनाकर सिर्फ और सिर्फ चुनावी राजनीति कर रहा है।
कंगना ज्यादा से ज्यादा स्मृति इरानी बन सकती है, जिसका नाम लेने वाला भी अब कोई नही रहा, वो जयललिता कभी नही बन सकती जिनकी मौत की खबर सुन न जाने कितनों ने आत्महचा कर ली।
कंगना जैसी तमाम स्त्रियों को मैं जानता हूँ जिन्हें इस बात का भरम होता है कि वो अकेले क्रांति की मशाल जला रही हैं लेकिन सच्चाई यह है कि वो झूठी वाह वाही अर्जित करने के लिए पुरुषों के बनाये दलदल में बार बार फंसती जाती है फिर एक वक्त ऐसा आता है
उनके हिस्से में महज अवसाद आता हैं। ऐसे ही अवसाद की वजह से मैने कई महिलाओं को तबाह होते देखा है। यह महिलाएं अवसरों को पाने के लिए किसी हद तक जा सकती हैं। वह भूल जाती है इन अवसरों का निर्माण बेईमान पुरुष समाज कर रहा है।
बार बार प्रेम में पड़ने वाले ,अतिमहत्वाकांक्षी और शार्टकट से सबकुछ हासिल करने की ख्वाहिश रखने वालों का जो हाल होता है वही कंगना का होते दिख रहा है। बीजेपी को कंगना की औकात का पता है। वाई प्लस सिक्युरिटी के बदले एक चौबीस घण्टे कदम ताल करने वाली एक्ट्रेस का मिलना कत्तई महंगा सौदा नही है। कंगना को गिरते देखिए और ईश्वर से प्रार्थना करिये अंत में कुछ तो शेष बचे।
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