वो भी क्या दिन थे जब पीयूष गोयल GDP-GDP करते थे
रवीश कुमार
कभी रेलवे के इको-सिस्टम में दस लाख नौकरियाँ पैदा करने की बात करने वाले पीयूष गोयल रेलवे की भर्ती परीक्षाओं पर चुप हैं। जब अपनी परीक्षा पूरी न कर सके तो इको-सिस्टम की बाक़ी नौ लाख नौकरियों का हिसाब कहाँ से देंगे।
कभी जनता जनार्दन हुआ करती थी अब जनता जजमान समझी जाती है। जिसे देना नहीं है। जिससे लेना है। उसकी नौकरी लेनी है। उसकी सैलरी लेनी है। उसकी EMI लेनी है। उसकी पूँजी लेनी है।
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