शिवाकांता अवस्थी रायबरेली: लगातार बरसात न होने पर धान की फसल में कई प्रकार के रोग/कीट लग जाते हैं, बरसात के समय तना छेदक और पत्ती लपेट ...
शिवाकांता अवस्थी
रायबरेली: लगातार बरसात न होने पर धान की फसल में कई प्रकार के रोग/कीट लग जाते हैं, बरसात के समय तना छेदक और पत्ती लपेट कीट धान की फसल में लग जाते हैं। तना छेदक कीट की सूंड़ियां काफी हानिकारक होती हैं। यह हल्के पीले शरीर वाली तथा नारंगी-पीले सिर की होती हैं। मादा सूंडी के पंख पीले होते हैं। यह पौधे की गोभ में प्रवेश कर जाती हैं, जिससे पौध की बढ़वार रुक जाती है। कीट पौधे के गोभ के तने को काट देती है। जिससे गोभ सूख जाता है और बालियो का रंग सफेद पड़ने लगता है।
आपको बता दें कि, पत्ती लपेटक सूंडी हरे रंग के शरीर तथा गहरे भूरे रंग के सिर वाली दो से 2.5 सेमी लंबी होती है। ये पत्तिायों को दोनों किनारों को जोड़कर नालीनुमा रचना बनाती हैं। यह कीट उसी के अंदर रहकर हरे पदार्थ को खुरचकर खाती हैं। यह सूंड़ी 20 से 30 दिन के जीवनकाल में कई पत्तियों को नुकसान पहुंचाती है। जिला कृषि अधिकारी रवि चन्द्र प्रकाश व जिला कृषि रक्षा अधिकारी अरूण कुमार त्रिपाठी द्वारा किसानों से निरन्तर फसलों में होने वाले रोग/कीट जानकारी दी जा रही है।
बताया गया कि, तना छेदक की रोकथाम के लिए कार्बोफूरान तीन जी 20 किलोग्राम प्रति हेक्टर की दर से 3.5 सेमी स्थिर पानी में अथवा कारटाप हाइड्रोक्लोराइड चार प्रतिशत 18 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 3.5 सेमी स्थिर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। पत्ती लपेट कीट की रोकथाम के लिए क्यूनालफास अथवा क्लोरोपाइरीफास 20 प्रतिशत ईसी 500 मिली0 प्रति एकड़ का छिड़काव कर फसल को बचाया जा सकता है।