शिवाकांत अवस्थी महराजगंज/रायबरेली: वर्तमान में चल रही वैश्विक महामारी कोविड-19 के मद्देनजर जहां एक तरफ पूरा विश्व महामारी से संघर्ष कर रह...
शिवाकांत अवस्थी
महराजगंज/रायबरेली: वर्तमान में चल रही वैश्विक महामारी कोविड-19 के मद्देनजर जहां एक तरफ पूरा विश्व महामारी से संघर्ष कर रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा तानाशाही आदेश जारी करके परिषदीय विद्यालयों का समय पूर्व के आठ से एक को बढ़ा कर आठ से ढाई कर दिया गया है।
आपको बता दें कि, जहां एक तरफ अनलॉक-4 में 21 सितंबर के बाद पचास प्रतिशत शैक्षिक स्टाफ को विद्यालय आने की इजाजत दी गई है, तो वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार की गाइडलाइन को ताक पर रखकर प्रदेश सरकार के आदेश को जुलाई माह से ही शिक्षक विद्यालय आ रहे हैं। विद्यालयों में बच्चे नहीं आ रहे, केवल महामारी से संघर्ष करते हुए शिक्षक शिक्षामित्र व अनुदेशक ही विद्यालयों में आ रहे हैं। प्रदेश के कई जनपदों में कई शिक्षक कोरोना से भी ग्रसित हो चुके हैं, व कई काल के गाल में समा चुके हैं। फिर भी सरकार के कान में जूं तक नहीं रेंग रही है। विपरीत आपदा की परिस्थितियों में विद्यालय के समयावधि को कम करने के स्थान पर मनमानी रवैये को अपनाते हुए समय अवधि को एक घंटा और बढ़ा दिया गया है। परिषदीय विद्यालय के एक शिक्षक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि, बच्चों की भी छुट्टी है, घर में अकेले उनको छोड़ कर आना पड़ता है, बड़ी कठिनाई होती है। समयावधि कम करने को तो छोड़िए उल्टा बढ़ा दिया गया है। सरकार के इस मनमानी रवैये को देखते हुए शिक्षकों में आक्रोश है। वहीं विद्यालय में इस समय शिक्षण कार्य के अलावा केवल राशन, ड्रेस व पुस्तक वितरण जैसा ही कार्य बचा हुआ है। अगर समयावधि उपचारात्मक शिक्षा के लिए बढ़ाना ही था, तो यह समय बच्चों के आने पर भी बढ़ाया जा सकता था। लेकिन नहीं! बिना बच्चों के यह समय अवधि बढ़ाना कहां तक उचित है, यह एक विचारणीय प्रश्न है। शिक्षकों की समस्याओं को दरकिनार करते हुए वर्तमान समय में सत्तासीन सरकार केवल मनमानी रवैयै का रुख अख्तियार कर रही है।