भारत के कई राज्यों की भागीदारी, लेंगे कुपोषण मुक्त विश्व की शपथ शिवाकांत अवस्थी रायबरेली: राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं आरटीआई जागरूकता संगठन...
भारत के कई राज्यों की भागीदारी, लेंगे कुपोषण मुक्त विश्व की शपथ
शिवाकांत अवस्थी
रायबरेली: राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं आरटीआई जागरूकता संगठन भारत परिवार की पहल भारत से उठकर अब विश्व मानचित्र पर दिखने लगी है, राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं आरटीआई जागरूकता संगठन भारत परिवार पुरस्कार चयन समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने टेलीफोनिक वार्ता के दौरान इस संवाददाता से बताया कि, आने वाले 20 सितम्बर 2020 ऐतिहासिक क्षणों का गवाह बनने जा रहा है। राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं आरटीआई जागरूकता संगठन भारत परिवार के एम्बेस्डर सहित, अन्य सामाजिक कार्यकर्ता पुरे विश्व से एकत्रित होकर कुपोषण से बचने के गुर सिखाएंगे।
आपको बता दें कि, राजस्थान प्रमुख गुमान सिंह सैनी ने 21 विशेष व्यक्तियों के चयन को राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं आरटीआई जागरूकता संगठन भारत के राष्ट्रीय कार्यालय नाम भेजा है, उत्तर प्रदेश के प्रदेश संरक्षक रमेश चंद चौरसिया ने ओवरसीज में रह रहे भारतीयों में 15 विशेष व्यक्तियों का चयन किया गया है। सतत् विकास लक्ष्य और उद्देश्य निम्नलिखित सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कार्रवाई प्रेरित करेंगे। गरीबी, भुखमरी, शिक्षा, स्वास्थ्य और खुशहाली, लैंगिक समानता, जल एवं स्वच्छता, ऊर्जा, आर्थिक वृद्धि और उत्कृष्ट कार्य, बुनियादी सुविधाएं, उद्योग एवं नवाचार, असमानताओं में कमी, संवहनीय शहर, उपभोग एवं उत्पादन, जलवायु कार्रवाई, पारिस्थितिक प्रणालियां, शांति एवं न्याय और भागीदारी।
इस समग्र एजेंडा में माना गया है कि, अब केवल आर्थिक वृद्धि पर फोकस करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि निष्पक्ष और अधिक समतामूलक समाजों तथा अधिक संरक्षित एवं अधिक संपन्न पृथ्वी पर फोकस करना होगा। इसमें माना गया है कि, शांति, न्याय, पर्यावरण संरक्षण और औद्योगिक विकास के कार्य एक-दूसरे से अलग नहीं है। बल्कि उसी परिवर्तन के अंग हैं। इसमें सबसे अधिक मान्यता इस बात की है कि, वैश्विक और परस्पर जुड़ी चुनौतियों से लड़ने के लिए केवल वैश्विक और परस्पर जुड़े समाधानों की ही आवश्यकता है। यह एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसके लिए सरकारों, कारोबार जगत, प्रबुद्ध समाज और व्यक्तियों के बीच नए सिरे से वैश्विक साझेदारी की आवश्यकता है। हम जैसे-जैसे 169 उद्देश्यों की पूर्ति की ओर बढ़ेंगे, वैसे-वैसे राष्ट्रीय और वैश्विक विकास को अधिक सतत् और अधिक सुदृढ़ मार्ग पर मोड़ते जाएंगे।
राष्ट्रीय मानव अधिकार एवं आरटीआई जागरूकता संगठन भारत के राष्ट्रीय प्रभारी एवं राष्ट्रीय अनुशासन मंत्री ज्ञान प्रकाश तिवारी से जब टेलिफोनिक वार्ता की गई, तो उन्होंने बताया कि, 2030 के लिए वैश्विक एजेंडा का मूल मंत्र सार्वभौमिकता का सिद्धांत है, "कोई पीछे न छूटे"। इन उद्देश्यों पर अमल के लिए जरूरी है कि, ये सभी सरकारों और काम करने वालों के लिए प्रासंगिक होने चाहिए। विकास को अपने सभी आयामों में सभी के लिए, हर जगह समावेशी होना चाहिए और उसका निर्माण हर किसी की, विशेषकर सबसे लाचार और हाशिए पर जी रहे लोगों की भागीदारी से होना चाहिए।