पं, वेदप्रकाश पटैरिया शास्त्री जी (ज्योतिष विशेषज्ञ) सम्पर्क सुत्र:- 9131735636 राजपक्ष, राजसत्ता या राजनीति से जोडने में सूर्य, चन्द्र, मंग...
पं, वेदप्रकाश पटैरिया शास्त्री जी (ज्योतिष विशेषज्ञ) सम्पर्क सुत्र:- 9131735636
राजपक्ष, राजसत्ता या राजनीति से जोडने में सूर्य, चन्द्र, मंगल, राहु और शनि मुख्य माने गए हैं लेकिन कुछ मामलों में बृहस्पति की भूमिका भी सामने आती है। क्योंकि वह गुरू है, सही मंत्रणा देता है और मंत्री बनाने में योगदान देता है। लेकिन आधुनिक राजनीति के लिए राहु को सभी ग्रहों की तुलना में अधिक वरीयता देनी चाहिए।
आधुनिक सफल राजनेताओं की कुण्डली में राजनीति के भावों यानी कि छठे, सांतवें, दसवें व ग्यारहवें भाव से राहू का सम्बंध देखने को मिल जाता है। सूर्य को राजा तो चन्द्रमा को राजमाता की उपाधि दी गई है अत: यदि दशम भाव में सूर्य उच्च का हो साथ ही राहू का सम्बंध छठे, सांतवें, दसवें व ग्यारहवें भाव से हो तो राजनीति में सफलता मिलती है। वहीं राजमाता चंद्रमा कि लग्न या राशि में जन्में लोगों का सम्बंध राजनीति से सरलता से जुड जाता है।
राजनेता के समर्थक ग्रहः –
कुंडली का दसवां घर राजनीति का होता है। यदि किसी की कुंडली के अनुसार दशमेश भाव में उच्च का ग्रह हो तो वह राजनीति में सफल होता है। इसके अतिरिक्त राहू का संबंध छठे, सातवें, दशवें और ग्यारहवें घर से होने पर भी राजनीति में अच्छी सफलता मिलती है। सूर्य, शनि, मंगल और राहू राजनीति के आवश्यक कारक ग्रह हैं। इनमें राहू अगर नीति को प्रदर्शित करता है तो सूर्य साम्राज्य, वर्चश्व, तेज प्रभाव और उपाधि को दर्शाता है। इनके साथ मंगल का मेल उसे लोगों के हितार्थ नेतृत्व क्षमता को बढ़ाने वाला एवं शनि का साथ लोकहित में दृढ़ता कायम करने वाला होता है। इन दोनों के मेल होने से व्यक्ति को राजनेता के गुण आ जाते हैं। राजनीति में राहू का महत्वपूर्ण स्थान है।
इसे सभी ग्रहों में नीतिकारक ग्रह का दर्जा प्राप्त है। राहू के शुभ प्रभाव से ही नीतियों के निर्माण व उन्हें लागू करने की क्षमता व्यक्ति में आती है। राजनीति के घर (दशम भाव) से राहू का संबंध बने तो राजनेता में स्थिति के अनुसार बोलने की योग्यता आती है। सफल राजनेताओं की कुंडली में राहू का संबंध छठे, सातवें, दसवें व ग्यारहवें भाव से देखा गया है। छठे भाव को सेवा का भाव कहते हैं। व्यक्ति में सेवा भाव के लिए इस भाव में दशम या दशमेश का संबंध होना चाहिए।
नौ ग्रहों में सूर्य को राजा माने जाने के कारण यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य प्रभावशाली स्थिति में है, तो वह उच्च पद पर आसीन हो जाता है, लेकिन राहू के प्रभाव का साथ मिलने पर ही उसमें नीतियों के निर्माण की क्षमता और उन्हें लागू कर पाने की योग्यता आती है। इन ग्रहों का प्रभाव नवांश्ज्ञ और दशमाश कुंडली में होने से ऐसी स्थिति बनने के सिलसिले में कोई बाधा नहीं आती है।
किसी भी प्रकार की समस्या समाधान के लिए पं. वेदप्रकाश पटैरिया शास्त्री जी (ज्योतिष विशेषज्ञ) जी से सीधे संपर्क करें = 9131735636