किसानों की दुर्दशा को लेकर कांग्रेस जो आरोप मोदी सरकार पर लगा रही है, छत्तीसगढ़ में वही आरोप BJP कांग्रेस पर लगा रही है?
सौमित्र रॉय
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हाल ही में विधानसभा में बयान दिया है कि राज्य में किसानों की मौत या आत्महत्या के आंकड़े सरकार के पास नहीं हैं।
लेकिन बीबीसी ने राज्य के कृषि विभाग से आंकड़े जुटाए तो पता चला कि पिछले क़रीब दो सालों में (साल 2020 में एक जनवरी से 23 नवंबर 2021 तक) छत्तीसगढ़ में 230 किसानों ने आत्महत्या की है।
राज्य सरकार के मुताबिक़ आत्महत्या करने वाले किसानों में सर्वाधिक 97 आदिवासी समुदाय से हैं। यानी करीब 40 फीसदी। 42 किसान अनुसूचित जाति के हैं।
दिलचस्प है कि किसानों की दुर्दशा को लेकर जो आरोप केंद्र में बीजेपी पर कांग्रेस लगा रही है, छत्तीसगढ़ में वही आरोप बीजेपी कांग्रेस पर लगा रही है।
बीजेपी शासनकाल में साल 2006 से 2010 के बीच हर साल किसान आत्महत्या के औसतन 1555 मामले दर्ज हुए हैं। यानी, हर दिन औसतन चार से अधिक किसानों ने राज्य में आत्महत्या की।
छत्तीसगढ़ किसान संघ के संयोजक और आदिवासी नेता सुदेश टीकम का कहना है कि ये किसानों की आत्महत्या के पूरे आंकड़े नहीं हैं, फिर भी अगर इन पर यकीन कर लिया जाए तो 2020 में आत्महत्या करने वाले 42 फ़ीसदी किसान आदिवासी समाज से हैं, जो भयावह है।
यानी किसानों के लिए मौत का फंदा लगाने में बीजेपी और कांग्रेस दोनों एक ही रास्ते पर हैं। भूपेश बघेल की झूठ बोलने की काबिलियत को देखते हुए कांग्रेस ने उन्हें यूपी चुनाव की कमान सौंपी है।