अगर ओवैसी की किसी से तुलना करना है तो अंबेडकर, लालू, मुलायम और काशीराम से करिए
अकरम खान
कुछ बुद्धिजीवियों का ऐसा मानना है कि ओवैसी और बीजेपी की राजनीति एक जैसी है एक हिन्दुओं की राजनीति करते हैं और दूसरे मुसलमानों की इसलिए अगर आप ओवैसी का समर्थन करते हैं तो बीजेपी का विरोध करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।
ऐसे महानुभावों से मैं पूछना चाहता हूं कि आप को ऐसा क्यों लगता है कि ओवैसी और बीजेपी की राजनीति का ढंग एक ही है?
बीजेपी की पूरी राजनीति मुस्लिम विरोध पर टिकी है जबकि ओवैसी की राजनीति हिंदू विरोध नहीं बल्कि मुसलमानों का उत्थान है।
बीजेपी की राजनीति का मुख्य एजेंडा मुस्लिम मुक्त भारत है जबकि ओवैसी का एजेंडा हिंदू मुक्त भारत नहीं बल्कि मुसलमानों को राजनीतिक ताकत बनाना है ताकि उनके साथ भेदभाव न हो।
आप यूं समझ लीजिए कि एक आदमी मेरे घर में कब्जा करना चाहता है और मैं उसके घर में कब्जा नहीं करना चाहता सिर्फ मेरे घर में वो कब्जा न कर सके उसकी जद्दोजहद कर रहा हूं तो आप मुझे सामने वाले के बराबर कैसे मान सकते हैं?
ओवैसी कि लड़ाई वैसी ही है जैसे अंबेडकर, कांशीराम, लालू और मुलायम की थी। जिस तरह उन्होंने अपने दबे कुचले समाज की लड़ाई लड़ी वही लड़ाई ओवैसी अपने समाज के लिए लड़ रहे हैं।
अगर ओवैसी की किसी से तुलना करना है तो अंबेडकर, लालू, मुलायम और काशीराम से करिए। अगर आपको ये लोग सही लगते हैं अपने समाज के लिए काम करने वाले लगते हैं तो फिर आप ओवैसी को ग़लत नहीं कह सकते। अगर आप ओवैसी को ग़लत कहते हैं तो फिर आप इन्हें कैसे सही कह सकते हैं?
ओवैसी का मकसद किसी का घर गिराना नहीं बल्कि अपने घर को सुरक्षित करना है जबकि बीजेपी का मकसद दूसरों के घर को गिराना है।
ऐसे बुद्धजीवियों को शर्म आनी चाहिए जो ओवैसी की तुलना बीजेपी से करते हैं।