मोदी सरकार पूरी तरह से भारत को एक बार फिर से विदेशी ताकतों की गुलाम बनाना चाहती है?
गिरीश मालवीय
गोरखपुर के खाद कारखाने के उद्धाटन के नाम पर यूपी में वोटो की फसल को काटने की पूरी तैयारी है लेकिन एक बात जान लीजिए कि जिस PSU ने इस पूरे कारखाने को दुबारा से खड़ा किया, उद्घाटन के अगले हफ्ते मोदी सरकार ने उस PSU को बेचने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया
हम बात कर रहे हैं PDIL यानी प्रोजेक्ट एंड डेवलपमेंट इंडिया लि. की ......
7 दिसंबर को प्रधानमंत्री मोदी ने गोरखपुर में खाद कारखाने के लोकार्पण समारोह में भाग लिया और 14 दिसम्बर को खबर आ गई कि मोदी सरकार ने PDIL को बेचने का फरमान जारी कर दिया है
दरअसल पीडीआईएल भारत सरकार के स्वामित्व वाले उर्वरक विभाग के तहत एक कंपनी है - यह एक मिनी रत्न, श्रेणी -1 और आईएसओ 9001:2008 प्रमाणित प्रीमियर कंसल्टेंसी एंड इंजीनियरिंग सीपीएसई है।
खास तौर पर यूरिया खाद आदि के कारखानों के निर्माण में इस संस्था की भूमिका सबसे बड़ी मानी जाती है....... PDIL भारतीय उर्वरक उद्योग के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और इसके पास अवधारणा से लेकर विभिन्न परियोजनाओं को शुरू करने तक डिजाइन, इंजीनियरिंग और संबंधित परियोजना निष्पादन सेवाएं प्रदान करने में छह दशकों से अधिक का अनुभव और विशेषज्ञता है।
ऐसा भी नही है कि यह संस्था घाटे में चल रही है बल्कि पिछले कुछ सालों से तो इसने बेहतरीन रिजल्ट दिए हैं...... पीडीआईएल ने 2019-20 में अब तक का सबसे उच्चतम वित्तीय प्रदर्शन किया है। इसके तहत उसने 133.01 करोड़ रुपये की लागत के काम-काज से राजस्व, 142.16 करोड़ रुपये की कुल आमदनी, टैक्स पूर्व 45.86 करोड़ का लाभ और टैक्स के बाद 31.83 करोड़ का लाभ हासिल किया है।
अब ऐसे संस्थान को भी क्यो बेचा जा रहा है यह समझ लीजिए.......सच तो यह है कि मोदी सरकार पूरी तरह से भारत को एक बार फिर से विदेशी ताकतों की गुलाम बनाना चाहती है ..........
एक बात तो सभी मानेंगे कि किसान अपनी आमदनी तभी बढ़ा सकेंगे जब उन्हें यूरिया खाद आदि कम दामों में मिले और यह वस्तुए कम दाम पर तब मिलेगी जब इनका उत्पादन सरकारी कारखानों मे होगा, लेकिन भारत की बढ़ती हुई जरूरत को पूरा करने के लिए यूरिया के नए कारखाने खुलेंगे कैसे ?.....जब PDIL जैसे PSU को ही बेच दिया जाएगा आपको जानकर हैरानी होगी कि पीडीआईएल ने भारत में लगने वाली लगभग 95% उर्वरक/अमोनिया यूरिया इकाइयों के निर्माण में अपना सशक्त योगदान दिया है.....
जब 1952 में सिंदरी में अमोनियम सल्फेट बनाने के कारखाने का उद्घाटन हुआ तो अपने उद्घाटन भाषण में, भारत के तत्कालीन प्रधान मंत्री, जवाहर लाल नेहरू ने कहा था कि वह सिर्फ एक उर्वरक कारखाने का उद्घाटन नहीं कर रहे थे, बल्कि वह आधुनिक भारत के मंदिर का उद्धघाटन कर रहे हैं
ऐसे कारखानो को मंदिर समझने वाली पीढ़ी अब नही रही..... वैसे भी न्यू इंडिया में अमोनियम सल्फेट की जरूरत नही है अब तो PDILजैसी कारखाने बनाने वाली संस्थाओं को बन्द कर मन्दिर निर्माण के जरिए चुतियम सल्फेट का भरपूर उत्पादन किया जा रहा है.......