एक हफ़्ते में इस देश ने दो धर्मसंसद देखीं, एक रायपुर में, एक हरिद्वार में. दोनों की दो कहानियां हैं?
दिलीप खान
गांधी अब ज़िंदा नहीं हैं, लेकिन क़रीब बीसेक करोड़ मुस्लिम इस देश में ज़िंदा तौर पर रह रहे हैं. गांधी के करोड़ों आलोचक और प्रशंसक इस मुल्क में हैं. छत्तीसगढ़ सरकार ने गांधी के बारे में कहे गए अपशब्दों पर तत्परता दिखाई. कालीचरण गिरफ़्तार हुआ. लेकिन, मुस्लिमों को गोली से उड़ाने और हिंदुओं के बच्चों को किताब छोड़कर हथियार पकड़ाने की गुहार लगाने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
गांधी को दी गई गालियों से गांधी को कोई ख़तरा नहीं है. गांधी चले गए. गांधी के अनुयायियों, प्रशंसकों को उनके बारे में कए गए अपशब्द चुभे. पुलिस ने हत्यारे गोडसे के प्रशंसक कालीचरण को गिरफ़्तार किया, अच्छा लगा. हत्यारे के नाम पर जश्न मनाना उग्र संस्कृति को बढ़ावा देने जैसा लग सकता है.
लेकिन इस उग्रता के ख़िलाफ़ हो क्या रहा है? मनमोहन सिंह और मुसलमानों को गोली मार देने और हथियार थमाने के लिए हिंदुओं से ज़्यादा बच्चे पैदा करने की अपील करने वाले क्या उग्रता के इस पैमाने में फ़िट नहीं बैठ रहे? क्या बच्चों के हाथों से किताब छीनकर बंदूक़ पकड़ाने की अपील इतनी उग्र नहीं है कि इन लोगों को गिरफ़्तार किया जाए?
बीजेपी इन लोगों को इनडोर्स कर रही है. बचा रही है. हरिद्वार की कथित धर्म संसद के विरोध में जो आवाज़ें उठ रही थीं, रायपुर की धर्म संसद में एक बयानवीर की गिरफ़्तारी पर शिथिल पड़ गई. शिथिलता किसके नाम पर आई? गांधी के नाम पर. जश्न और मीम्स का मौहाल है. हरिद्वार मामले में ढंग से FIR तक नहीं हुई. गिरफ़्तारी तो दूर है. कालीचरण के पक्ष में भी मध्य प्रदेश का गृहमंत्री कूद गया!