अधर्मियों को सरकारी हिंदुत्व क्यों चाहिए??
मनीष सिंह
एक मजेदार ऑब्जर्वेशन है, महसूस कीजिएगा। अधिकांश भाजपा प्रेमी धार्मिक नही हैं। वो मांसाहार करते हैं, पब जाते है, शराब पीते है, पोर्न शेयर करते हैं, सीडी वीडी बनवाते रहते हैं। वैष्णो देवी और तिरुपति का तीर्थाटन, असल मे दोस्तों के साथ हैंग आउट और छुट्टी पर्यटन का बहाना होता है।
इनमे से किसी ने पुराण, वेद, गीता, धर्मशास्त्र का अध्ययन नही किया। गणेश पंडाल, या कांवर उत्सव में उन्मत्त नाचने के अलावे, दैनिक पूजन पाठ भी नही करते। चार श्लोक याद नही, उनके अर्थ जानना तो दूर की बात है।
लेकिन इसकी जरूरत भी नही। क्योकि धर्म का पूरा सबाब, एक ढोंगी नौटंकीबाज को वोट देकर पूरा हो जाता है। पांच साल के लिए अपना धर्म इन्होंने समूची सरकार बनाकर आउटसोर्स किया हुआ है।
अतएव प्रधानमंत्री को मन्दिर में देखकर खुश होते हैं। मुख्यमंत्री को घण्ट डुलाते देख चरमसुख पाते हैं। इसके बाद पलटकर निजी चरमसुखों में डूब जाते है।
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यह अजीब सा गिल्टी प्लेजर है। भाजपा ने हमारे भीतर की अधार्मिकता को पूरी करने का ठेका ले लिया है। और इसे नए नए विस्तार भी दे रही है। नई आकांक्षाएं बो रही है, उसकी फसल काट रही है।
इसलिए दो विजुअल एक साथ आते हैं। सौ मुसलमानों को खुले में नमाज पढ़ने पर रोक लगाई जा रही है, लेकिन 100 करोड़ लोगों का प्रधानमंत्री खुले में, याने लाइव टीवी पर पूजा पाठ स्नान कर रहा है। इस विजुअल से जो आपको गिल्टी प्लेजर मिलता है, महंगाई, बेरोजगारी और बदइंतजामी के दुख को भुला देता है।
क्योकि शुरुआत तो अच्छे दिन की उम्मीद से हुई थी। इसमे दो करोड़ रोजगार, तेज आर्थिक विकास और सुकून से जीने का स्वप्न था। सचाई यह है कि नौकरी, राशन, शिक्षा, बिजली, पानी, मकान और आजादी को कोई सरकार, रातोंरात बेहतर नही कर सकती।
तो सत्ता में आने पर एक नई इच्छा हममें बो दी गयी- "विकास के साथ साथ हिन्दू होने पर उच्चता मिल जाये, तो बोनस हो जाये"। हमने इस ख्याल को हाथोंहाथ लिया, और ट्रेप में फंस गए। बोनस का शोर इतना ज्यादा मचा दिया गया, कि बोनस बेसिक बन गया है, और बेसिक इग्नोर किया जा सकता है।
मैसेज आया ही था -"शेर पालना महंगा पड़ता है"
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हिन्दू दो चार नही, 100 करोड़ लोग हैं। जब आप इतने सारे हिन्दुओ को प्रिविलेज नही दे सकते, तो शेष को डिस्क्वालिफाई कर दो। वो निम्नता का अहसास कराया, तो हिन्दुओ को उच्चता का अहसास स्वतः हो जाएगा।
यह तरीका काम कर गया है। धर्म की रक्षा, हिन्दू की उच्चता, औऱ भाजपा को वोट करना सिनोनिम बन गया है। मुसलमान का परसिक्यूशन, एब्यूज इसका मीटर है।
पर इसमे भी समस्या है।
मुसलमान हर जगह नही। क्रिश्चियन भी बड़े सीमित है। अगला बड़ा समुदाय सिख है। वहां भी इलेक्शन होते हैं। तो किसान आंदोलन के वक्त हम ट्रेलर देख चुके थे। अब उनके धर्मस्थलों पर बेअदबी की घटनाओं की पिक्चर देख रहे हैं। आगे जो होगा, उससे हिन्दू वोट कंसॉलिडेट होगा।
जी हां। मैं कह रहा हूँ, कि मुसलमान के बाद, गिल्टी प्लेजर का अगला निशाना सिख हैं। फिर हर उस कम्युनिटी का नम्बर है, जो किसी इलाके में अल्प संख्या में हो, और वहाँ, वोट के हिसाब से इग्नोर की जा सके।
वो शिकार बनेगी
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इस गिल्टी प्लेजर को हम सार्वजनिक जीवन की अनिवार्य शर्त बनाते जा रहे हैं। हम कांग्रेस, तृणमूल, वाम से पूछ रहे हैं कि वे भी मुस्लिम विरोधी क्यो नही?? क्योकि विरोधी नही होना, तो समर्थक होना है। और मुसलमान का समर्थक होना पाप है।
इसलिए पुण्य कमाना है- तो भाजपा को वोट दो।
दूसरो को सताना हो, तो भाजपा को वोट दो। हम मौजमस्ती करें, और हमारे बिहाफ में हमारी सरकार पूजा पाठ करती रहे, इसके लिए भाजपा को वोट दो।
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अब आप समझ गए, कि सारे अधर्मियों को सरकारी हिंदुत्व क्यो चाहिए।