सियासत को लहू पीने की बड़ी पुरानी आदत है और चुनावी मौसम में यह आदत बढ़ जाती है?
मनिंदर सिंह
सामान्य एडवाइजरी- धर्मांध इस पोस्ट से दूर रहें उनकी भावनाएं आहत होने की पूरी पूरी संभावना है।
पहले ही कहा था सियासत को लहू पीने की बड़ी पुरानी आदत है और चुनावी मौसम में यह आदत बढ़ जाती है और इसका सबसे आसान शिकार होते हैं धर्मांधता से पीड़ित लोग जिन्हें नफरत का पाठ पढ़ाना सबसे आसान होता है। सर्द मौसम को जहरीले बयानों से गर्म करने की पूरी कोशिश की जा रही है क्योंकि फिजा में चुनाव की खुशबू बहने लगी है।
अब तुम कहां हो का कॉपीराइट रखने वाले गैंग से यही सवाल है अब तुम कहां हो जब अधर्म संसद के नाम पर तुम्हारे बच्चों को आतंकवादी बनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है उन्हें किताबें छोड़कर तलवारें उठाने के लिए बोला जा रहा है पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का सीना छलनी करने की बात की जा रही है। 20 लाख दूसरे धर्म के लोगों को काटने के लिए बोला जा रहा है।
औरतों को बच्चा पैदा करने वाली मशीन समझकर आह्वान किया जा रहा है। दूसरे शब्दों में देश का तालिबानी करण करने का आह्वान किया जा रहा है वह भी खुले मंच से गेरुआ वस्त्र पहन कर। संतों के भेष में गुंडे छुपे हुए हैं। खुलेआम देश के संविधान के विपरीत एक विशेष धर्म के नाम पर राष्ट्र बनाने के लिए शपथ दिलाई जा रही है। भई अब तुम कहां हो???
हमें तो प्रमाण पत्र बांटने और देशभक्ति की परीक्षा लेने समय समय पर आ जाते हो अपने बिलों से निकलकर। पर ऐसे मौके पर खुद कौनसी कंदराओं और गुफाओं में छुप जाते हो। तुम्हारी इस चुप्पी का मतलब यही तो नहीं कि तुम इनका समर्थन करते हो। शर्म की वजह से चुप तो नहीं होगे क्योंकि शर्म तो बेच खाई है तुम जैसो ने।
बिकाऊ सरकारी तंत्र भी बस दिखावे के नाम पर f.i.r. करके अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेगा। थोड़ा इस सिनेरियो को घुमा देते हैं यहां पर दूसरे धर्म के लोगों को फिट कर देते हैं और उन्होंने ऐसा जहर उगला होता तो क्या होता सोच सकते हो।
उमर खालिद जैसे जेएनयू स्कॉलर ने तो मात्र यही बोला था कि सीएए और एनआरसी का विरोध सड़क पर निकल कर गांधी के तरीके से करेंगे। संविधान और भगत सिंह की बात की थी। डेढ़ साल से वो बंदा यूएपीए के तहत जेल में हैं। और यहां सरे आम लोगों को मारने काटने की बात करने वाले सत्ता के संरक्षण में फल फूल रहे हैं।
लेकिन यह याद रखना इतिहास सब का हिसाब करता है तुम्हारा भी करेगा। हिटलर के चाहने वाले भी बहुत थे परंतु हिटलर और उसके साथियों का भी चुन चुन कर हिसाब किया गया था। और बाद में जो बचे थे सिर्फ उसके ऊपर थूकने वाले।
और यह भी याद रखना जो हमेशा कहता हूं आग जब लगती है ना वह सबके घरों तक पहुंचती है तुम्हारे घरों तक पहले पहुंचेगी क्योंकि तुम आम लोग हो, उन आग लगाने वाले लोगों के घरों तक नहीं पहुंचेगी क्योंकि वह खास है हमेशा की तरह बचकर निकल जाएंगे।
और हां ऐसी घटनाओं को क्रिया की प्रतिक्रिया बताने वाले गैंग बदले में ओवैसी के जहरीले बयान की बात भी करेंगे जरूर करना उसका भी बहुत बढ़िया जवाब दूंगा बस सुनने की क्षमता रखना। वैसे वो है तो तुम्हें बहुत प्यारा क्योंकि है तो तुम्हारा ही बिरादरी भाई। सोच में पड़ गए अरे भाई कट्टरता वाली बिरादरी वाला भाई।
बस यह याद रखना जिस प्रकार हर चमकती चीज सोना नहीं होती वैसे ही धर्म का गेरुंआ चोला ओढ़े हर व्यक्ति संत नहीं होता।धर्म और अधर्म में अंतर करना सीखिए। इस धरती की खूबसूरती इसी में है कि यह भगत गांधी कलाम का देश है इसे वही रहने दीजिए।
जिंदगी ना मिलेगी दोबारा ❤️🙏🇮🇳