UP को भारत के सबसे गरीब, बीमारू राज्यों में से एक माना जाता है?
सौमित्र रॉय
यूपी को भारत के सबसे गरीब, बीमारू राज्यों में से एक माना जाता है। प्रति व्यक्ति आय के हिसाब से भारत के 36 राज्यों में यूपी का नंबर 32वां है। लेकिन अखबारों में योगी सरकार के इश्तेहार दावा करते हैं कि बीते 4 साल में प्रति व्यक्ति आय दोगुनी हो गई।
2017 में योगी सरकार के कुर्सी संभालने के बाद से सूबे का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) सिर्फ 1.9% बढ़ा है। अखिलेश सरकार के समय बढ़ोतरी 6.9% थी। यानी, योगी सरकार में प्रति व्यक्ति आय सिर्फ 0.43% ही बढ़ी है। सरकार के "पेन किलर" बाबुओं ने बॉस को खुश करने के लिए दशमलव में हेरा-फेरी कर दी।
कारखानों में उत्पादन से लेकर रोज़गार तक सब रसातल में घुसे जा रहे हैं। 2012 से तुलना करें तो रोज़गार का संकट 2.5 गुना ज्यादा है। युवाओं की बात करें तो उनके सामने बेरोज़गारी का संकट 5 गुना अधिक है।
आलम यह है कि जो जितना ज्यादा शिक्षित, उसके सामने रोज़गार का उतना ही बड़ा संकट। यानी हायर सेकंडरी वाले के लिए 3 गुना तो तकनीकी शिक्षा प्राप्त बच्चों के लिए 66% तक नौकरी की किल्लत।
कुल मिलाकर योगी सरकार विकास के मानकों पर बुरी तरह से नाकाम रही है। इसीलिए, चुनावी भाषणों में मंदिर, हिन्दू-मुसलमान और जिन्ना-औरंगजेब सुनाई देते हैं।
सिर्फ यूपी ही नहीं, ये समूची हिंदी गोबर पट्टी की समस्या है- जहां जमींदारी उन्मूलन कानून, सीलिंग एक्ट और पिछले 6 दशकों में हुए सामाजिक-जातिगत आंदोलन सामंती ताकतों को हिला नहीं पाए।
तो यूपी के योगीराज में सामंती ताकतों की ही चांदी रही है और उनके लिए सीएम किसी भगवान से कम नहीं। पर इस बार यूपी के 54% पिछड़ों के हाथ सत्ता की चाबी है। देश के लोकतंत्र के लिए यह अच्छा संकेत है।