1945 में बेटे ने लिखी थी मां के नाम चिट्ठी, 2021 में डाकिये ने पहुंचाई सही पते पर
अगर आप अपने देश में डाक विभाग की लेट-लतीफी के किस्से सुनाते रहते हैं, तो आपको जानकर हैरानी होगी कि विकसित देशों में भी ऐसे हादसे होते रहते हैं. उदाहरण के तौर पर अमेरिका का ही एक किस्सा ले लीजिए, जहां एक बेटे की मां को लिखी हुई चिट्ठी 76 साल बाद घर पहुंची.
ये चिट्ठी द्वितीय विश्व युद्ध (World War 2) के दौरान अमेरिका के आर्मी सार्जेंट जॉन गोंज़ाल्वेस (John Gonsalves) ने अपनी मां को लिखी थी. चिट्ठी 6 दिसंबर 1945 को लिखी गई थी, जब उनकी उम्र महज 22 साल थी. जर्मनी में काम करते हुए उन्होंने अपनी मां को अपने सही-सलामत होने के बारे में चिट्ठी लिखकर सूचना दी थी. वो बात अलग है कि ये चिट्ठी उनके घर उस वक्त पहुंच ही नहीं पाई थी.
हाथ से लिखी गई इस चिट्ठी में अपनी मां के लिए एक बेटे की तसल्ली है, जो परदेस में काम कर रहा था. चिट्ठी को जर्मनी से अमेरिका के पिट्सबर्ग तक पहुंचने में 76 साल का वक्त लग गया. दुख की बात ये है कि जब तक चिट्ठी पहुंची, तब तक न तो इसे लिखने वाला ज़िंदा बचा था, न ही जिसे लिए चिट्ठी लिखी गई थी, वो ही इस दुनिया में रह गई थीं. यूनाइटेड स्टेट्स पोस्टल सर्विस (United States Postal Service) को सार्जेंट गोंज़ाल्वेस की पत्नी का पता लगा तो उन्होंने ये चिट्ठी उन तक ही पहुंचा दी. खुद सार्जेंट साल 2015 में ही इस दुनिया से जा चुके हैं.
चिट्ठी में सार्जेंट ने अपनी मां को कुशल-क्षेम की जानकारी दी है. उन्होंने लिखा है- ‘प्यारी मां, आपका एक और पत्र आज मिला और ये जानकर खुशी हुई कि सब कुछ ठीक-ठाक है. मैं भी अच्छा हूं और सब ठीक है, सिर्फ खाना ज्यादातर वक्त खराब मिलता है. आपके लिए ढेर सारा प्यार. जल्दी ही आपको देखने की प्रतीक्षा में, आपका बेटा जॉनी.’
सार्जेंट की पत्नी एंजेलिना ने जब ये चिट्ठी खोली तो उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ. ये चिट्ठी उनके पति से शादी से 5 साल पहले अपनी मां को लिखी थी, जो उन्हें अब मिल पाई है. वे बताती हैं कि उनके पति बेहद अच्छे इंसान थे, जिन्हें हर कोई प्यार करता था.