इस साल 2022 में मोदी सरकार ने 36 सरकारी कम्पनियों को बेचने का लक्ष्य रखा है?
गिरीश मालवीय
नए साल में 36 सरकारी कम्पनियों को बेचने का लक्ष्य रखा गया है...... जी हां ! मोदी सरकार कोई एक दो सरकारी कम्पनियों को नही बेच रही हैं !.....मोदी सरकार की लिस्ट में कुल 36 कंपनियां हैं, जिन्हें निजीकरण के लिए चुना गया है.......विनिवेश विभाग के सचिव तुहिन कांत पांडे कहते हैं "हम कई सरकारी कंपनियों की बिक्री पर विचार कर रहे हैं और उम्मीद करते हैं कि साल के अंत तक यह पूरा हो जाएगा।"
PDIL ओर HLL की रणनीतिक बिक्री के नोटिस निकाले जा चुके हैं CEL जैसी कम्पनी को तो बेच भी दिया गया है, कई कम्पनियों का निजीकरण न्यायालय की वजह से रुका हुआ है और कई कम्पनियों के निजीकरण के ट्रांजेक्शन को प्रोसेस भी कर दिया गया है
इनमें से अधिकतर उपक्रम आजादी के बाद के महज कुछ ही सालो में स्थापित हुए थे और उनकी आरंभिक पूँजी महज कुछ करोड़ या कुछ सौ करोड़ रुपयों ही थी धीरे धीरे यह उपक्रम बड़े बनते गए नेहरू को यह उपक्रम इसलिए भी खड़े करने पड़े थे क्योंकि टाटा बिड़ला जैसे उस वक्त के बडे उद्योगपति इन क्षेत्रों में निवेश करने के लिए तैयार नही था ...इसलिए तत्कालीन नेहरू सरकार ने अपने संसाधनों से इन संस्थानों को स्थापित किया ...
आज इन PSU में से कइयों का मूल्य लाखो करोड़ो में है ... जिसे बेहद सस्ते दामो पर अपने मित्र पूंजीपतियों को बेचकर मोदी अपनी आर्थिक नीतियों से खाली हुए खजाने को भरना चाहते हैं.....
यह इल्जाम भी गलत लगाया जाता है कि तमाम PSU पुराने सरकारी ढर्रे पर चलते हैं सच यह है कि जितने भी पीएसयू आज रन कर रहे हैं वे सभी के सभ पूरी तरह कॉरपोरेट कल्चर पर काम करते हैं ,
ऐसे ही PSU में काम कर रहे मेरे एक मित्र बताते हैं कि यह सारे PSU अखिल भारतीय परीक्षा के जरिए टॉप प्राइवेट कंपनियों की तरह आईआईटी आईआईएम एनआईटी से केम्पस प्लेसमेंट करते हैं और सब के सब आत्मनिर्भर हैं ( लाभ- घाटा अलग बात है ), सब के सब सेलरी अपने किये हुए व्यापार से अपने कर्मचारियों को देते हैं ( अपनी अपनी व्यापारिक क्षमता और लाभ हानि के हिसाब से हर पीएसयू में समान पोस्ट के कर्मचारी का वेतन अलग होता है ) ... और हर लाभ कमाने वाली पीएसयू को सरकार को अपने लाभ का एक निश्चित भाग ( सामान्यतः 20% से 30% तक ) सरकार को डिविडेंड के रूप में देना होता है ....अगर सिर्फ टॉप 5 सरकारी कम्पनियों का लाभ जोड़ लिया जाए तो वो बाकी की जितने भी घाटे वाली सरकारी कम्पनियां होगी ...उनके घाटे का कम से कम 100 गुना ज्यादा निकलेगा........यह सच्चाई है
लेकिन सच्चाई की अब कहा सुनवाई होती है ?.....अब तो झूठ का ही बोलबाला है इतना सब होने पर भी जनता में एक धारणा घर कर गयी है कि निजीकरण बहुत अच्छा है और सारे PSU कर्मचारी मुफ्त की तनख्वाह लेते हैं.........
अब अंत मे आप उन 36 सरकारी कम्पनियों की लिस्ट देख लीजिए जो जल्द ही अडानी अम्बानी जैसे पूंजीपतियों के कब्जे में जाने वाले हैं !.....
1- प्रोजेक्ट एंड डेवलपमेंट इंडिया लिमिटेड (PDIL)
2- इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट (इंडिया) लिमिटेड
3- ब्रिज और रूफ कंपनी इंडिया लिमिटेड
4- सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (CEL)
5- बीईएमएल लिमिटेड
6- फेरो स्क्रैप निगम लिमिटेड (सब्सिडियरी)
7- नगरनार स्टील प्लांट ऑफ एनएमडीसी लिमिटेड
8- स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया की यूनिट्स (एलॉय स्टील प्लांट, दुर्गापुर स्टील प्लांट, सालेम स्टील प्लांट, भद्रावती स्टील प्लांट)
9- पवन हंस लिमिटेड
10- एयर इंडिया और इसकी 5 सब्सिडियरी कंपनियां
11- एचएलएल लाइफकेयर लिमिटेड
12- इंडियन मेडिसिन्स फार्मास्युटिकल्स कॉरपोरेशन लिमिटेड
13- भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड
14- द शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड
15- कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड
16- नीलांचल इस्पात निगम लिमिटेड
17- राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड
18- आईडीबीआई बैंक
19- इंडिया टूरिज्म डेवलपमेंट कॉरपरेशन लिमिटेड की तमाम यूनिट
20- हिंदुस्तान एंटीबायोटिक्स लिमिटेड
21- बंगाल केमिकल्स एंड फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड
22- हिंदुस्तान न्यूजप्रिंट लिमिटेड (सब्सिडियरी)
23- कर्नाटक एंटीबायोटिक्स एंड फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड
24- हिंदुस्तान फ्लोरोकार्बन्स लिमिटेड (सब्सिडियरी)
25- स्कूटर्स इंडिया लिमिटेड
27- हिंदुस्तान प्रीफैब लिमिटेड
28- सीमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड की यूनिट्स
29- हिंदुस्तान पेट्रोलियन कॉरपोरेशन लिमिटेड
30- रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन लिमिटेड
31- एचएससीसी (इंडिया) लिमिटेड
32- नेशनल प्रोजेक्ट्स कंसट्रक्शन कॉरपोरेशन लिमिटेड
33- ड्रेजिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड
34- टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड
35- नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड
36- कमरजार पोर्ट लिमिटेड