क्या जेल से बाहर आने पर अब्दुल्ला आजम लड़ सकेंगे 2022 का विधानसभा चुनाव?
फर्जी दस्तावेजों के मामले में अपनी विधायकी गंवा चुके आजम खान (Azam Khan) के बेटे अब्दुल्ला आजम (Abdullah Azam) क्या 2022 का विधानसभा चुनाव (UP Assembly Elections 2022) लड़ सकेंगे? ये सवाल हर किसी के मन में कौंध रहा है. उनकी जल्द ही सीतापुर के जेल (Sitapur Jail) से रिहाई हो सकती है. बस कागजी औपचारिकताएं बची हैं. गलत जन्म प्रमाण पत्र के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनकी विधायकी छीन ली थी. उनके ऊपर कई आपराधिक मामले भी चल रहे हैं. ऐसे में क्या वो फिर से चुनाव लड़ने के पात्र हैं?
इसका जवाब है हां. आज की तारीख में अब्दुल्ला आजम के ऊपर चल रहे मुकदमों के जो हालात हैं, उसके मुताबिक उनके चुनाव लड़ने पर कोई पाबंदी नहीं होगी. उन्हें अभी तक किसी भी आपराधिक मुकदमे में सजा नहीं हुई है. सभी ट्रायल में हैं और सबमें गवाही चल रही है. गलत जन्म प्रमाण पत्र देने का मामला उन पर जरूर साबित हुआ था, जिसके चलते 16 दिसंबर 2019 को उनकी विधायकी चली गयी थी लेकिन, इससे उनके चुनाव लड़ने पर कोई पाबंदी नहीं लगेगी. ये मामला सिविल का था न कि फौजदारी का.
बता दें कि रामपुर की स्वार सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े नवाब काजिम अली खां ने अब्दुल्ला आजम के खिलाफ इलेक्शन पिटीशन दाखिल की थी. पिटीशन नंबर 8/2017 के मामले की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 16 दिसंबर 2019 को उनकी सदस्यता रद्द करने के आदेश दिये थे. उनके ऊपर अपनी उम्र छिपाने के आरोप सही साबित हुए थे. आरोप था कि जब 2017 का चुनाव अब्दुल्ला आजम ने लड़ा था तब उनकी उम्र 25 साल नहीं हुई थी.
बता दें कि जनप्रतिनिधित्व कानून में इस बात का प्रावधान है कि यदि किसी चुने हुए जनप्रतिनिधि को यदि किसी फौजदारी मामले में दो साल से ज्यादा की सजा सुनाई जाती है तो उसके 6 साल तक चुनाव लड़ने पर रोक लग जाती है. अब्दुल्ला आजम को अभी तक किसी भी आपराधिक मामले में सजा नहीं हुई है. मामले ट्रायल में हैं और फैसला आने में कम से कम इतना वक्त तो लग जाएगा कि चुनाव बीत जाएं.
दूसरी तरफ आजम खान के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज कराने वाले आकाश सक्सेना ने एक और खुलासा किया. सक्सेना ने कहा कि अब्दुल्ला आजम मारे डर के जेल से बाहर नहीं आ रहे हैं. उनकी जमानत तो 18 सितंबर को ही हो गयी थी, लेकिन, किसी भी जमानती के सामने न आने के कारण वे जेल से बाहर नहीं आए.