मोदी राज में 81 हजार से ज्यादा जवानों ने केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की नौकरी छोड़ दी
गिरीश मालवीय
मोदी राज के पिछले सात वर्ष में 81 हजार से ज्यादा जवानों ने केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की नौकरी छोड़ दी है, जी हां यह वही पैरामिलिट्री फोर्स के जवान है जिनकी पुलवामा में हुई शहादत के नाम पर 2019 का चुनाव मोदी ने जीता है.....यह जवान प्रधानमंत्री मोदी से मिलने के लिए मात्र 20 मिनट का समय मांग रहे लेकिन पिछले सात सालो से मोदी के पास 20 मिनट का भी टाइम नहीं निकल पा रहा है........
पूर्व एडीजी एचआर सिंह व आईजी छज्जू राम कहते हैं कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अपने एक आदेश में सिविलियन फोर्स बताया है। वह पैरामिलिट्री फोर्स, जो बॉर्डर के अलावा देश में आतंकवाद, नक्सल, उत्तर-पूर्व के उग्रवाद प्रभावित इलाके और आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी संभालती है, उसे 'सिविलियन फोर्स' बता दिया गया है।
अर्द्धसैनिक बलों के पूर्व कर्मी अपनी मांगों के समर्थन में राजघाट पर 14 फरवरी को विशाल धरना-प्रदर्शन आयोजित कर रहे हैं उनकी प्रमुख मांगे हैं .....2004 से बन्द पेंशन दोबारा शुरू करना, शहीद का दर्जा देना , उनकी कैंटीन में सेना की कैंटीन की ही तरह GST से छूट देना,पूर्व सैनिकों को डिस्पेंसरी की सुविधा देना, रेलवे में स्पेशल कोच की सुविधा देना।सुरक्षा बलों की भलाई के लिए अलग से पैरामिलिट्री मंत्रालय का गठन करना और सेना की तर्ज पर वेतन भत्ते देना......
दिन रात शहीद शहीद चिल्लाने वाले हमारे न्यूज़ चैनल्स पैरा मिलिट्री फोर्स के जवानों को हो रही तकलीफ़ को सामने नही लाते है,