BJP नेताओं को सपा में शामिल करके कहीं हिट विकेट न हो जाएं अखिलेश यादव?
स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) सहित बीजेपी (BJP) के कई मंत्रियों और विधायकों के समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) में शामिल होने से पार्टी में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly Election 2022) से पहले खासा जोश दिख रहा है. हालांकि इन नेताओं को टिकट देने में अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. यहां इन नए नेताओं के आने से एक ही सीट पर कई दावेदारों वाली स्थिति हो गई है.
सहारनपुर जिले की नकुड़ विधानसभा सीट को इसके एक उदाहरण के तौर पर लिया जा सकता है. योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री पद छोड़कर सपा में शामिल हुए धर्म सिंह सैनी नकुड़ से लगातार दूसरी बार विधायक हैं और आगामी चुनाव में इस सीट के लिए एक प्रमुख दावेदार हैं. उधर कांग्रेस छोड़कर सपा में आए इमरान मसूद भी इसी सीट पर दावेदार रहे हैं. वह वर्ष 2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे थे.
सैनी और मसूद के अलावा समाजवादी पार्टी के कई स्थानीय नेता भी नकुड़ सीट से टिकट का दावेदारी कर रहे थे. उनका कहना है कि पिछले पांच वर्षों से सपा के सत्ता से दूर रहने के बावजूद वह पार्टी के वफादार सिपाही की तरह जमीन पर काम करते रहे हैं और पार्टी को मजबूत स्थिति में पहुंचाया है.
वैसे नकुड़ विधानसभा सीट का कोई अकेला मामला नहीं है. सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव को 18 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर इसी तरह की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है, जहां बीजेपी और बसपा के मौजूदा विधायक हाल के दिनों में सपा में शामिल हुए हैं और अपनी सीट पर दावेदारी कर रहे हैं. इसके अलावा अखिलेश ने आगामी चुनाव के लिए सात छोटी पार्टियों के साथ भी गठबंधन किया है, जो अपने-अपने उम्मीदवारों के लिए जिताऊ सीटों की मांग कर रही हैं.
उधर यूपी के प्रमुख ओबीसी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य पडरौना निर्वाचन क्षेत्र से मौजूदा विधायक हैं. सपा वर्ष 2012 में पडरौना में चौथे स्थान पर रही थी और वर्ष 2017 के चुनाव में गठबंधन सहयोगी कांग्रेस को यह सीट दे दी थी, जो उस चुनाव में इस सीट पर तीसरे नंबर पर रही थी. ऐसे में मौर्य को पडरौना से उम्मीदवार बनाने में सपा के लिए तो कोई परेशानी नहीं होगी, हालांकि उनके बेटे उत्कृष्ट के टिकट पर फैसला अखिलेश के लिए आसान नहीं होगा.
उत्कृष्ट वर्ष 2012 और 2017 के विधानसभा चुनावों में ऊंचाहार सीट पर सपा के मनोज पांडे से हार गए थे. उत्कृष्ट ने 2012 में बसपा उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था, जबकि 2017 में वह भाजपा प्रत्याशी थे. ऐसे में अपने इलाके के बड़े ब्राह्मण नेता में शुमार मनोज पांडे का इस सीट पर दावा मजबूत माना जाता है. उन्होंने दलित वोटरों को साधने के लिए हाल ही में ‘बौद्धिक बैठकों’ का भी आयोजन किया है.
वहीं बसपा के दिग्गज नेता रहे राम अचल राजभर कुछ हफ्ते पहले ही सपा में शामिल हुए हैं. वर्ष 2017 के चुनाव में अकबरपुर सीट पर राजभर ने तत्कालीन सपा विधायक को हराकर कब्जा जमाया था. राजभर उन गिने-चुने बसपा विधायकों में थे, जिन्होंने मोदी लहर में अपनी जीत पक्की की थी. ऐसे में वह इस पर दावेदारी आसानी से छोड़ने वाले नहीं. इसका एक नज़ारा हाल ही में तब देखने को मिला जब उन्होंने अपनी ताकत का प्रदर्शन करते हुए एक बड़ी रैली का आयोजन किया.
कुछ ऐसा ही हाल कटेहरी निर्वाचन क्षेत्र का है, जहां के मौजूदा विधायक लालजी वर्मा ने हाल ही में बसपा का साथ छोड़ साइकिल को चुना है. वह इस सीट से टिकट की दौड़ में सबसे आगे हैं. हालांकि इसी सीट पर सपा के वरिष्ठ नेता जयशंकर पांडे भी दावेदारी कर चुके है. वह पिछले विधानसभा चुनाव में तीसरे स्थान पर रहे थे. इसके अलावा भिंगा, सिधौली, प्रतापपुर, हंडिया, धोलाना, मुंगरा बादशाहपुर, चिल्लूपर, सीतापुर, खलीलाबाद, बिलसी और नानपारा जैसे सीटों पर भी अन्य दलों के विधायकों ने सपा का दामन थामकर अखिलेश के लिए टिकट बंटवारे की राह मुश्किल कर दी है.