सियासी मौसम वैज्ञानिक हैं स्वामी प्रसाद मौर्य, जानिए उनके दल बदलने का इतिहास
योगी सरकार (Yogi Government) में कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने विधानसभा चुनाव (UP Assembly Elections) के ऐलान के ठीक बाद ही बीजेपी (BJP) का दामन छोड़कर साइकिल पर सवार हो गए हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा सुप्रीमो मायावती (Mayawati) के बेहद करीबी नेताओं में से ख़ास रहे स्वामी प्रसाद मौर्य ने बीजेपी का दामन थामा था.
पांच बार के विधायक स्वामी प्रसाद मौर्य ने काफी लंबा समय बहुजन समाज पार्टी में गुजारा. वो मौजूदा समय में पडरौना विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. उन्होंने अपने पुत्र और बेटी को टिकट न मिलने की वजह से बसपा को त्यागा था. मौजूदा समय में उनकी बेटी संघमित्र मौर्य बदायूं से बीजेपी की सांसद हैं. वो भी पहली बार 2019 में बीजेपी के टिकट पर जीतीं.
दरअसल, स्वामी प्रसाद मौर्य ने 2017 में अपने बेटे उत्कृष्ट मौर्य को ऊंचाहार विधानसभा सीट से चुनाव लड़वाया था. लेकिन वो काम अंतर से वोट हार गए थे. बीजेपी इस बार भी उन्हें टिकट देने को तैयार थी, लेकिन स्वामी प्रसाद मौर्य को लगता है कि उनके बेटे समाजवादी पार्टी से ही जीत सकते हैं. वैसे स्वामी प्रसाद मौर्य का इतिहास देखा जाए तो स्वामी प्रसाद मौर्य अपने फैसलों से हमेशा चौंकाते रहे हैं. जब उन्होंने बसपा छोड़ी थी तब आखिरी वक्त किसी को मालूम नहीं था, अब बीजेपी के साथ भी ऐसा हुआ.
अगर पॉलिटिकल जानकारों की मानें तो कल टिकट बंटवारे को लेकर बीजेपी कोर समिति की बैठक में स्वामी प्रसाद मौर्य की मांगें को गया. लिहाजा उन्होंने ये फैसला लिया. राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को इस्तीफा भेजने से पहले मौर्य ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा, ‘माननीय राज्यपाल जी, राज भवन, लखनऊ,उत्तर प्रदेश. महोदय, माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल में श्रम एवं सेवायोजन व समन्वय मंत्री के रूप में विपरीत परिस्थितियों व विचारधारा में रहकर भी बहुत ही मनोयोग के साथ उत्तरदायित्व का निर्वहन किया है किंतु दलितों, पिछड़ों, किसानों बेरोजगार नौजवानों एवं छोटे- लघु एवं मध्यम श्रेणी के व्यापारियों की घोर उपेक्षात्मक रवैये के कारण उत्तर प्रदेश के मंत्रिमंडल से मैं इस्तीफा देता हूं.’
स्वामी प्रसाद मौर्य ने जनता दल से अपना सियासी सफर शुरू किया था, लेकिन राजनीतिक कामयाबी बसपा में शामिल होने के बाद मिली. बसपा से चार बार विधायक रहे और एक बार एमएलसी बने. मायावती के करीबी नेताओं में स्वामी प्रसाद मौर्य का नाम आता था. वो बसपा के प्रदेश अध्यक्ष से लेकर राष्ट्रीय महासचिव तक रहे, लेकिन 2017 के चुनाव से पहले उन्होंने बसपा छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था. मौर्य सबसे पहले डलमऊ से 1996 में विधायक बने.
फिर 2002 में भी डलमऊ से जीते. इसके बाद कुशीनगर लोकसभा से 2009 में बीएसपी से उपचुनाव लड़े, लेकिन हार गए. इसके बाद 2009 लोकसभा चुनाव में आरपीएन सिंह के जीतने के बाद खाली हुई पडरौना विधानसभा सीट से बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल किया. 2012 में बीएसपी से पडरौना विधानसभा से चुनाव लड़े और जीतकर नेता विपक्ष बने. 2016 में बीएसपी छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए. 2017 में बीजेपी के टिकट पर पडरौना से चुनाव लड़कर जीतकर विधायक बने.