संतान, विवाह, ग्रहस्थ सुख में कमी, धन हानि के ज्योतिषिय कारण
संतान, विवाह, ग्रहस्थ सुख में कमी, धन हानि के ज्योतिषिय कारण एवं कुछ अन्य कारण
जैसे:- बार बार गर्भ गिर जाने व गर्भ न होना!
संतान होते ही मर जाना व बिमार रहना।
संतान दुर्भाग्यी, निकम्मी व मूर्ख होना!
संतान अंगहीन, कुरुप, या लूला लंगड़ा होना।
संतान गूंगी, बहरी व पागल होना, इनके निम्न तीन कारण भी हो सकते हैं जैसे कि:-
{1} पूर्वजन्म कृत पाप एवं किसी के श्राप लगने पर।
{2} पितरों की नाराजगी एवं पितरों का प्रकोप।
{3} माता पिता के अपमान से संतान अंगहीन होती है, साधु संतों के अनादर के कारण संतान कुरुप हो जाती है।
ॐ सार्वभौम ज्योतिष परामर्श केंद्र:-
कुण्डली सम्बन्धी समस्यायों का समाधान निःशुल्क,
(1) क्यो जीवन में कठिनाइयों से जूझ रहे हैं आप ?
(2) क्यो नियमित कर्म के बाबजूद नही हो रहा है आप का भाग्य उदय ?
(3) क्यों रुका है आप का विकाश ?
(4) क्यों दूर है आप से आप की खुशियां ?
इन सवालों के जवाब जानिए केवल एक कॉल से:-
किसी भी प्रकार की ज्योतिषीय सलाह के लिए आचार्य पं. श्रीकान्त पटैरिया (ज्योतिष विशेषज्ञ) जी से सीधे संपर्क करें:- 9131366453
विवाह संतान पर लग्नेश का प्रभाव---विवाह संतान दोनों भावों पर लग्नेश ग्रह का ज्यादा प्रभाव पड़ता है, अतः कुंडली मिलान में लग्नेश का ध्यान अवश्य करें! लग्नेश में लग्न वक्री हो तो अस्त हो क्रूर हो पाप ग्रह हो, शत्रुग्रही हो तो ग्रहस्थ सुख में हानि करता है, संतान हीन, संतान हानी, संतानरोगी, मुर्ख, दुष्ट वगैरा होती है।
विवाह संतान पर राशीश का प्रभाव---लग्न से छठी आठवीं जन्म राशि हो और राशीश शत्रु ग्रही वक्री अस्त हो अथवा राशीश ग्रह निर्बल हो या नीच हो, कुंडली मिलान दोष हो या नवपंचम दोष हो तो संतान सुख दुर्लभ हो जाता है।
जन्म नक्षत्र का विवाह संतान पर प्रभाव------जन्म नक्षत्र गण्डमूल हो या पंचक दोष हो, या नक्षत्र गन्डांत हो, या नक्षत्र मन्द हो।
राहु केतु ----जैसे मंगली दोष, शनिचरी दोष का प्रभाव शरीर पर, विवाह पर पड़ता है वैसे ही संतान पर भी राहु केतु का भी असर पड़ता है, शास्त्र के साथ साथ अनुभव में भी आया है क्योंकि राहु केतु क्रूर ग्रह माने गये हैं।
शनि मंगल की तरह राहु केतु भी, 1,4,5,7,8,12 इन भावों में अधिक अनिष्टकारक बन जाते हैं, अतः विवाह संतान पर (गृहस्थी सुख में) विशेष हानिप्रद है।
खासकर लड़की की कुंडली में पांचवे घर में राहु हो तो बार बार गर्भपात होता है एवं पांचवे केतु भी बांझपन कारक होता है! इसी तरह 07 वे घर में राहु मासिक धर्म को बिगाड़ता है! आठवें राहु सिर दर्द आयु कमजोर एवं 12 वें राहु लगड़ा लूला चोट फोट लगता- साथ ही दरिद्री योग बन जाता है।
विवाह से पूर्व जन्मपत्री मिलान करते समय लड़की की कुंडली में पांचवे भाव को जरूर देखें कि कोई ग्रह संतान पर नेष्ट तो नहीं है अर्थात् राहु पांचवे घर में न हो,
राहु केतु का परिहार---असल में राहु केतु का प्रभाव घटाने वाला कोई ग्रह नहीं है खासकर 7 वें और 5 वें भाव में राहु पर किसी ग्रह का दबाव नहीं पड़ता, अर्थात् लड़की के राहु का लड़के के राहु पर, लड़के के राहु पर लड़की के राहु का कोई असर नहीं होता है, बल्कि दोनों को राहु नेष्ट हो तो संतानहीन योग होता है! फिर भी लग्नेश शुभ हो, पांचवे राहु के साथ हो या पंचमेश शुभ हो, पंचम भाव में हो या पांचवे दृष्टि हो तो उपाय करने पर संतान हो सकती है।
जन्मपत्री में यह भी देखें--सूर्य, मंगल, गुरु, केतु, शनि, राहु संतान में रूकावट कारक होते हैं, इनकी दशा अन्तर दशा की स्थिति देखे,
पंचमेश ग्रह कभी भी वक्री हो या अस्त हो तो संतान पर समस्या आएगा,
पांचवे भाव पर क्रूर ग्रह दृष्टि हो, या लग्नेश का प्रभाव पड़ता हो।
वर कन्या राशि मिलान में-नव पंचक दोष, नाड़ी दोष आदि, या कन्या राशि में मिलान के गुण थोड़े (कम) हो या कालसर्प योग हो!
अतः जानकार ज्योतिषी से जानकारी प्राप्त करके, उपाय करके इन उपरोक्त आदि की निवृत्ति करे सुखी रहें:-
किसी भी प्रकार की समस्या समाधान के लिए आचार्य पं. श्रीकान्त पटैरिया (ज्योतिष विशेषज्ञ) जी से सीधे संपर्क करें = 9131366453