दलितों के घर भोजन करके ये लोग साबित क्या करना चाहते हैं ?
राजेश यादव
फिर वही सीन, वही किसी दलित के घर जमीन पर बैठकर पत्तलों या नए बर्तनों में भोजन करने की नौटंकी, स्थान और चेहरा बदल जाता है, स्क्रिप्ट वही घिसी पिटी रहती है, वही समाजिक समरसता भोज की बयानबाजी , समय चुनाव के आसपास और उद्देश्य भी राजनीतिक रहता है। इन लोगों के पास नया कुछ नही है। जनता ऊब चुकी है। चलिये आपको कुछ पीछे ले चलते हैं।
30 मई 2016 को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने वाराणसी के जोगियापुर में गिरिजा प्रसाद के घर दलितों के साथ भोजन किया था। इसके 2 महीने बाद अगस्त 2016 में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने दलित स्वयंसेवक राजन चौधरी के घर खाना खाने पहुंच गए। यूपी के विधानसभा चुनाव नजदीक थे।
23 जुलाई 2017 को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने जयपुर की एक कच्ची बस्ती सुशीलपुरा में एक दलित के घर खाना खाया। यह घर बीजेपी के बूथ कार्यकर्ता रमेश पचारिया का था।
20 अगस्त 2017 को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने भोपाल के पास एक गांव में आदिवासी परिवार के घर भोजन किया। इसी क्रम में 2 दिन बाद वह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान के साथ दोपहर को रातीबड़ थानाक्षेत्र के सेवनिया गोंड गांव में रहने वाले आदिवासी कमल सिंह के घर गए और जमीन पर बैठकर भोजन किया।
4 जून 2017 को हिमाचल प्रदेश के ऊना में तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा दलित के घर अतिथि बनकर पहुंच गए। दिसम्बर में प्रदेश के विधानसभा चुनाव प्रस्तावित थे।
24 अगस्त 2017 को केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी स्कूटर चलाकर सूरत के कतारगांव में एक दलित के घर खाने पहुंचीं। वर्ष के अंत मे गुजरात विधानसभा चुनाव थे।
5 मई 2018 को बिहार के बेगूसराय में केंद्रीय राज्य मंत्री एसएस अहलुवालिया ने एक दलित के घर खाना तो खाया, लेकिन इसके बाद वे विवादों में आ गए। मंत्री अहलुवालिया पर आरोप लगा है कि उनके लिए खाना बाहर से बनाकर मंगवाया गया था।
5 अप्रैल 2018 को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और केन्द्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने उड़ीसा में एक दलित के घर पत्तलों पर खाना खाया।
लोकसभा चुनाव 2019 की अधिसूचना जारी होने के बाद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या की दलित बस्ती में रहने वाले महावीर के घर भोजन किया। इसी दौरे में दलित बस्ती में साबुन शैम्पू बांटे गए थे।
बंगाल चुनाव से पहले 5 नवम्बर 2020 को गृहमंत्री अमित शाह ने बांकुड़ा के चतुरडीह गांव में वे इस समय आदिवासी समुदाय के विभीषण हांसदा के घर में दोपहर का भोजन किया। उसके बाद वो बांकुड़ा के बाद शाह अगले रोज कोलकाता के राजारहाट में एक मतुआ समुदाय के व्यक्ति के घर भोजन करने पहुंच गए।
मध्यप्रदेश में पृथ्वीपुर का उपचुनाव था। अक्टूबर 2021में सीएम शिवराज सिंह चौहान अमित शाह के साथ एक दलित ठाकुरदास अहिरवार के घर खाना खाने पहुंच गए। बीजेपी जिस शौचालय योजना का ढोल पीटती है वो उसके घर मे नही था।
अब यूपी विधानसभा चुनाव का समय है तब फिर से मुख्यमंत्री योगी कल गोरखपुर में दलित अमृतलाल की खिचड़ी खा रहे थे।
दलितों के घर भोजन करके ये लोग साबित क्या करना चाहते हैं ? कोई अहसान करते हैं या उन्हें उसी अहसास के साथ बनाये रखना चाहते हैं कि तुम लोग हमसे नीचे हो ! यूपी सरकार के मंत्री सुरेश राणा के साथ एक दलित के घर बाहर से लाये भोजन और मिनरल वाटर के साथ पहुंचे दूसरे मंत्री राजेन्द्र प्रताप सिंह ने वहीं पर उन भाजपा नेताओं की तुलना भगवान राम से की थी,जो दलितों के घर जीमने जाते हैं।
मुख्यमंत्री दलित के यहाँ डिस्पोजेबिल पत्तलों में खाना खा कर आये लेकिन उसे बता कर नहीं आये कि पीएम मोदी ने लैटरल एंट्री से जो 31आईएएस बनाये हैं उनमें एक भी दलित-पिछड़ा नहीं है। राम मंदिर ट्रस्ट में दलित,आदिवासियों और पिछड़ों को नही रखा गया है। देश प्रदेश में निकली भर्तियों में उनको संविधान प्रदत्त भागीदारी (आरक्षण) में अघोषित कटौती की गई है। खाना तो अभी खा रहे हैं लेकिन हक़ तो वर्षों से खा रहे हैं।
उन्ही की भाषा मे कहना है कि ये नौटंकी बन्द करो। पब्लिक तुम्हारे सभी कर्मकांड जान चुकी है !