अगर अभी कुछ नहीं किया तो जल्दी ही अरुणाचल और सिक्किम भी भारत के हाथ से निकल जाएगा
सौमित्र रॉय
गलवान घाटी में चीनी झंडा फहराए जाने को बिल्कुल हल्के में न लें। यह नरेंद्र मोदी सरकार की बहुत गंभीर ग़लती है और देश को इसकी बड़ी कीमत चुकानी होगी।
पहली जनवरी को चीन की सेना पीएलए के वीडियो पर मोदी सरकार की चुप्पी बताती है कि 10 सितंबर 2020 को मॉस्को में चीन के साथ जो डील हुई थी, उसमें भारत ने पूर्वी लद्दाख में 1000 वर्ग किमी ज़मीन बेच दी गई है।
यह कोई फालतू, बंज़र ज़मीन नहीं बल्कि सामरिक रूप से अहम भारत मां का आंचल है। इस जमीन को बेचने का मतलब चीन के आगे बिना लड़े घुटने टेक देना है।
पीएलए ने झंडावंदन कर बता दिया है कि अब वे यह ज़मीन नहीं छोड़ने वाले। वे वहां सड़क, पुल, कॉलोनी सब बनाएंगे और ज़रूरत पड़ने पर पूरा लद्दाख हड़प लेंगे। और सरकारी पेडिग्री मीडिया सूत्रों का हवाला देकर इसे झूठ बताती रहेगी।
चीनी झंडा फहराने का मतलब यह भी है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में झूठ बोला था कि चीन को कोई ज़मीन नहीं दी गयी है। भारत को इस झूठ की कीमत युद्ध की तबाही झेलकर चुकानी पड़ सकती है। लाखों मौतें, बर्बादी और देश का कमज़ोर, बदहाल होना।
यह झूठ प्रधानमंत्री के उस झूठ से भी बड़ा है- जिसमें उन्होंने कहा था कि न तो कोई घुसा है और न घुसकर बैठा है, क्योंकि राजनाथ ने उसी झूठ पर संसद की मुहर लगा दी है।
देश के जाने-माने रक्षा विशेषज्ञ प्रवीण साने ने अपने वीडियो में हालात का बारीकी से विश्लेषण किया है। समय निकालकर इसे सुनें और शेयर करें। वीडियो में वे तमाम बातें हैं जो मैं 2020 से कहता आया हूं।
इस मसले का हल सरकार पर स्थिति साफ करने का दबाव बनाकर और संसद का विशेष सत्र बुलाकर निकाला जा सकता है। अगर अभी कुछ नहीं किया तो जल्दी ही अरुणाचल और सिक्किम भी भारत के हाथ से निकल जाएगा।