आज CEL को बेचने पर इसलिए रोक लगी है, क्योंकि इसके पीछे का घोटाला उजागर हुआ है?
सौमित्र रॉय
नरेंद्र मोदी सरकार ने आज फ़िर एक बड़ा यू-टर्न लिया है। सरकारी कंपनी CEL को महज़ 210 करोड़ में बेचने पर रोक लग गई है। ज़मीन की पूरी कीमत ही 440 करोड़ है। यानी अगर नीचे वाली कंपनी इसे खरीदकर फिर बेच देती तो भी उन्हें 230 करोड़ का मुनाफ़ा होता।
मोदी सरकार ने कंपनी के हिस्से की ज़मीन के 44% कीमत के आधार पर इसकी बोली 210 करोड़ लगाई थी। जबकि मुनाफ़ा दे रही इस कंपनी के पास 1592 करोड़ के ऑर्डर हैं। कंपनी का सकल लाभ 730 करोड़ का है।
कंपनी के लिए बोली लगाने वाले नंदलाल फाइनेंस एंड लीजिंग और जेपीएम इंडस्ट्रीज के तार एक तीसरी कंपनी शारदा टेक से जुड़े हैं, जहां दोनों कंपनियों के निदेशक बोर्ड में हैं। दोनों कंपनियों के पास कुल 10 कर्मचारी भी नहीं हैं। वहीं, दोनों कंपनियों की 99.96% इक्विटी प्लास्टिक की कुर्सियां और फर्नीचर बनाने वाली कंपनी प्रीमियर फर्नीचर्स एंड इंटीरियर्स के पास है।
साफ़ है कि देश की रक्षा क्षेत्र के लिए अहम इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण बनाने वाली कंपनी CEL को पिछले दरवाजे से एक फर्नीचर कंपनी को बेचा जा रहा था। आपको ये भी बता दूं कि CEL को बनाने के लिए यूपी सरकार ने 50 किसानों से ज़मीन के बदले उन्हें रोज़गार देने का वादा किया था, लेकिन नहीं दिया।
साफ़ है कि नरेंद्र मोदी सरकार देश की नामी कंपनियों को कौड़ियों के भाव उन उद्योगपतियों को बेच रही है, जो उसे चलाने के काबिल ही नहीं हैं। इसके पीछे मोदी की कांग्रेस से नफ़रत और अपनी नालायकी से उपजी कुंठा के अलावा कुछ भी नहीं है। दिवालिया बनकर बैठा अनिल अंबानी इसकी ज़िंदा मिसाल है, जिसे राफेल बनाने का ठेका दिया गया।
आज CEL को बेचने पर इसलिए रोक लगी है, क्योंकि इसके पीछे का घोटाला उजागर हुआ है। खेल को समझिए। सारा मामला पोलिटिकल फंडिंग का है और इसके लिए बीजेपी सरकार अपनी मां, बहन, बेटी को भी बेच सकती है। यह खेल आप सबके माध्यम से घोटाले को उजागर करके ही रुकेगा।