UP चुनावी दंगल के लिए इन चारों की राजनीति, BJP में एक समझौता बनाएगा
-Jagdish Bhambhu
"मोदी- अमितशाह - योगी - आरएसएस, UP चुनावी दंगल के लिए इन चारों की राजनीति, BJP में एक समझौता बनाएगा"
(संदर्भ- हालिया सत्यपाल मलिक का बयान, और पिछले 1साल में भाजपा शासित राज्यों में मुख्यमंत्री पद पर हुई ताजपोशी)
UP में BJP अपनी अमदरूनी राजनीति या शीर्ष सरकारी पद के नेतृत्व को बदलने के तरीकों के अनुसार राजनीति कर रही है, UP चुनाव में BJP के अमित शाह कई निशाने लगाना चाहते है, तो मोदी जी भी स्वयं को सरकार और BJP में मजबूत करना चाहते है, इन सबके बीच संघ में तय करेगा है कि BJP के लिए भावी प्रधानमंत्री कौन होना चाहिए।
अमितशाह संघ से लगातर संपर्क बनाए हुए है, मोदी जी तो 2014 के पहले कार्यकाल के उत्तरार्ध तक आते आते ही संघ से संपर्क में कमी किये जा रहे ही थे, क्योंकि मोदी जी की टीम संघ से ज्यादा मजबूत थी, तब मोदी जी की टीम में अमित शाह भी थे। संघ और मोदी जी के बीच अमित शाह सेतु के रूप में काम करते थे। इस प्रकार संघ धीरे धीरे मोदी जी से दूर होता गया या कर दिया गया मोदी जी के द्वारा। ये संघ का हमेशा से रहा है कि प्रधानमंत्री से उसके रिश्ते कभी पटरी पर बैठते ही नहीं है, अटल बिहारी वाजपेयी के समय भी ऐसा ही था। तब अमित शाह BJP प्रमुख थे।
अभी राजनेताओं की तरह अमित शाह भी सरकार का हिस्सा बने, और गृह मंत्रालय जैसा बड़ा पद हासिल किया, अमित शाह अब पहले से मजबूत भी हुए,किसी भी नेता के पार्टी में कार्य करने के तरीके और सरकार में कार्य करने का तरीके में काफी फर्क हो जाता है, और इन सबका प्रभाव अमित शाह पर भी हुआ। अब मोदी जी खुद की टीम पर ज्यादा निर्भर रहने लगे वो टीम कभी मोदी जी के अलावा किसी अन्य नेताओं से संवाद करने हेतु नहीं बनी है, उसका कार्यक्षेत्र सिर्फ PMO, मोदी जी के सोशल मीडिया और उनके भाषण बनाने तक ही सीमित है, जो सिर्फ छवि चमकाने हेतु काम करते है।
अमित शाह के मंत्रालय संभालते ही अमित शाह ने मोदी की टीम और मोदी जी के लिए सेतु बनने हेतु ध्यान दिया या नहीं या उनको प्रधानमंत्री पद दिखने लगा ये सब अमित शाह के द्वारा किये गए कार्यों में देख सकते है, जो आगे पढ़ें और समझें, कि किस प्रकार अमित शाह मजबूत हुए है-
*पहली बार महाराष्ट्र में सरकार निर्माण के समय अमित शाह और मोदी के बीच के तालमेल में कमी देखी गयी जब फडणवीस को रातों रात शपथ दिलवाई गयी।
*उसके बाद बिना संघ पृष्ठभूमि के दूसरी पार्टी से आये हेमंत बिस्वा के साथ अमित शाह मजबूती से रहे, और उनको मुख्यमंत्री बनाया,
*कर्नाटक में भी बिना संघ पृष्टभूमि के मुख्यमंत्री को बनाया गया,
*उत्तराखंड में भी अमित शाह ने पसंद का मुख्यमंत्री बनाया।
इस प्रकार अमित शाह ने खुद टीम बनानी शुरू कर दी, और स्वयं के लिए भविष्य की राजनीति तय की।
अब UP चुनाव में अमित शाह को संघ और योगी से तालमेल बिठाना है, और यदि BJP वापिस सत्ता में आती है तो मुख्यमंत्री अमित शाह की पसंद का व्यक्ति ही बनेगा। चाहे वो चेहरा योगी हो या अन्य। जहां तक दिखाई दे रहा है संघ की अमित शाह से कोई नाराजगी नहीं है।
इन सबके बीच बड़े औद्योगिक घरानों को योगी से कोई नाराजगी नहीं है, गोदी मीडिया अभी तक तो एक नैरेटिव से हैंडल हो रहा जो उसका 2014 के बाद बना है, अभी तक गोदी मीडिया और नंगा नाच नाचेगा और खुले तौर पर BJP के लिए प्रचार करता दिखेगा। UP चुनाव ने बाद इसमें जरूर बदलाव देखने को मिलेगा।
अब कृषि कानून वापिस लेने और उसके बाद की राजनीति पर आते है, साथ में सत्यपाल मलिक के बयान पर भी। पश्चिमी UP के किसानों को मानने के लिए अमित शाह द्वारा लगातार प्रयास जारी है, वो येन केन प्रकारेण मनाने के प्रयास कर रहे है। जयंत चौधरी पर भी उनकी नजर है, कि चुनावी परिणाम के बाद उनको हरियाणा के दुष्यंत चौटाला की तरह साथ में मिलाने के प्रयास हो,
अमित शाह इन सब विकल्पों पर विचाररत है और अवश्य है, सत्यपाल मलिक 2017 में जाट आरक्षण के समय भी BJP से स्थानीय लोगों की नाराजगी दूर करने में सफल हुए थे, सत्यपाल मलिक का बयान अमित शाह को मोदी से अलग और अच्छा साबित करने वाला था, और संकेत भी कि अब भविष्य में केंद्र की राजनीति हेतु अमित शाह की तरफ देखो। चुनाव तक आने वाले दिनों में बहुत कुछ घटित होगा।
इसमें अगले राष्ट्रपति चुनाव को भी देखा जाए, और सुगबुगाहट है कि राष्ट्रपति चुनाव की उम्मीदवारी मोदी जी को दी जाएं। जिसके पूरे प्रयास जारी है। फिर नम्बर 2 अमित शाह है सरकार में, संगठन में तो और राज्यों में वो पहले से मजबूत है।ऐसे में BJP की सरकार UP में बने, मुख्यमंत्री अन्य को बना, योगी को केंद्र में मंत्री पद दिया जाए।
तब जंयत को BJP की सरकार में मिलाने के पुरजोर प्रयास होंगे। पर इन सबके बीच किसान आंदोलन और राकेश टिकैत भी आ डटे है, जंयत का ऐसे में BJP सरकार से हाथ मिलाना मुश्किल है, क्योंकि वो स्वयं की, अजीत सिंह की हार का बदला लेने हेतु कार्य कर रहे है। इसी को सुलझाने के प्रयास सत्यपाल मलिक के माध्यम से अमित शाह करना चाहते है। कि कैसे भी हो लोग इन किसान नेताओं के प्रभाव में ना आएं।