UP में चुनाव का ऐलान होते ही BJP में बगावत क्यों हो गई?
सौमित्र रॉय
यूपी में चुनाव का ऐलान होते ही बीजेपी में बगावत क्यों हो गई? क्या यह सिर्फ पिछड़ों, दलितों को नज़रंदाज़ करने का ही मुद्दा है, या वज़ह और भी है? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबका साथ, सबका विकास की बात करते हैं, लेकिन काम हिंदुत्व का करते हैं।
2017 में जब यूपी में बीजेपी की सरकार बनी, तब वादा तो सबका साथ, सबका विकास ही था। इसके लिए योगी आदित्यनाथ जैसे व्यक्ति को सीएम की कुर्सी थमा दी गई, जिसे सरकार और प्रशासन चलाने का कोई तज़ुर्बा ही नहीं था। बावज़ूद इसके, मूर्ख हिंदुओं ने अपने फायदे के लिए योगी में हिन्दू हृदय सम्राट की हवा भर दी। नतीज़तन, योगी अहंकारी हो गए।
फिर हुआ क्या? हिन्दू-मुसलमान का साम्प्रदायिक खेल खेलते योगी, मोदी और मूर्ख, धर्मान्ध हिन्दू भूल गए कि विकास भी करना है। मोदी ने जिस सूबे को राम राज्य और बेस्ट गवर्नेंस का सर्टिफिकेट दिया, वहीं विधायक तो क्या, सांसदों तक की अर्ज़ियां डीएम कूड़े के डिब्बे में डाल देते थे।
योगी ने जिस ANI को आपत्तिजनक "चूतिया" शब्द बोला था, वह सिर्फ जुबान फिसलना ही नहीं था। उनकी ज़ुबान अपने विधायकों, सांसदों के लिए भी उससे ज़्यादा कड़वी थी। विकास तो नहीं हुआ, विनाश ज़रूर हो गया। कोविड से पहले 17 दिसंबर 2019 में बीजेपी के 100 विधायकों के योगी के ख़िलाफ़ भरी विधानसभा में धरने को भूल जाएं?
कोविड की दूसरी लहर में लाशें बहाई गईं। सरकारी बाबुओं ने सीएम की नालायकी का पूरा फ़ायदा उठाकर रोको, ठोको और पकड़ो की नीति अपनाई। विकास कहां हुआ? बंगाल, अमेरिका और चीन में। पर मोदी क्लीन चिट बांटते रहे। आखिर में किसान आंदोलन ने बीजेपी विधायकों के लिए पिटने की नौबत ला दी।
ऐन चुनाव के वक़्त मोदी ने अपने खास अमित शाह के ज़रिए विधायकों से कहलवाया कि योगी को किसी भी सूरत में जितवाना है। नए चेहरे और फ़िज़ां बदलने की उम्मीद कर रहे नाख़ुश विधायकों के सब्र का बांध टूट गया।
इस पटकथा के लेखक बेशक नरेंद्र मोदी हैं और यही बात कल बीबीसी के एक पत्रकार से मैंने कही। अमित शाह के मुताबिक 2022 में अगर योगी जीतेंगे तो 2024 में मोदी जीतेंगे। यह एक चाणक्य का बयान हो ही नहीं सकता, जो ज़मीनी हालात से आंख मूंदे हुए हो।
योगी तो हारेंगे और 2024 में मोदी भी हारेंगे। उन्होंने भी वही गलतियां की हैं, जो योगी ने की। मोदी भी उतने ही नाकाबिल हैं, जितने योगी। उनकी हिंदुत्व आधारित सोशल इंजीनियरिंग जब यूपी के मथुरा और काशी में नहीं चली तो क्या उस अयोध्या में चलेगी, जहां राम जन्मभूमि ट्रस्ट ने ज़मीनों का घोटाला किया?
बीजेपी राम मंदिर आंदोलन के कारण 2 से 2019 में 352 पर पहुंची। अब जबकि अयोध्या में मंदिर बन रहा है तो वहां पहले चंदे में घोटाला हुआ और फिर ज़मीन का। UPA और NDA में यही तो फ़र्क़ है। UPA में भी बड़े घोटाले हुए, लेकिन ग़रीब की रोटी, रोज़गार नहीं छिना। भारत में आज 62% परिवारों की प्रतिमाह औसत आय 18 हज़ार से कम है। हर माह 80 हज़ार से ज़्यादा कमाने वाले सिर्फ 0.6% हैं।
यही 62% असल भारत है। लेकिन योगी 80-20 की बात कर रहे हैं और उनके बॉस नरेंद्र मोदी 80 करोड़ लोगों को मुफ़्त अनाज बांट रहे हैं। राम के नाम पर सत्ता में आई बीजेपी करोड़ों भूखे पेट को धर्म से भर सकती है? वह भी उसी यूपी में जहां अपने पांचवें जन्मदिन से पहले ही मर जाने वाले बच्चों की संख्या अफ़ग़ानिस्तान के बराबर है?
योगी तो हारकर गोरखपुर में मठ में विराजमान हो जाएंगे, लेकिन मोदी अगले 2 साल में 62% भारत की तकदीर किस जादुई छड़ी से बदलेंगे? आज अखिलेश के घर बीजेपी के बागियों की लाइन लगी है। कल कहीं ऐसा न हो कि इससे भी लंबी लाइन राहुल-प्रियंका के घर पर नज़र आए। मोदी की मुट्ठी से वक़्त की रेत फ़िसल रही है।