UP Elections 2022: एक झटके में खत्म हो गया इन बाहुबली नेताओं का सियासी सफर
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) से पहले सियासी उठापटक का दौर जारी हैं. ऐसे में यूपी की राजनीति में बाहुबलियों के दखल को नकारा नहीं जा सकता. हर राजनीतिक पार्टी में आपको कुछ ऐसे नाम मिल जाएंगे जिनका अपना वर्चस्व रहा है.
प्रदेश में चाहे जिस भी दल की सरकार रही हो इन बाहुबलियों की पैठ हर सरकार में रही है. इस बार कुछ ऐसे भी बाहुबली नेता हैं जिनका सियासी सफर अब थम सा गया है. आज हम बात कर रहे हैं उन नेताओं की जिन्हें किसी न किसी मामले में कोर्ट द्वारा सजा सुना दी गई है.
कोर्ट द्वारा सजा सुनाने के बाद इन नेताओं के लिए चुनावी मैदान में ताल ठोकना अब असंभव हो चुका है क्योंकि सजायाफ्ता होने के साथ ही इनकी चुनाव लड़ने की योग्यता ही समाप्त हो गई. आज हम ऐसे ही कुछ नामी चेहरों के बारे में बताने जा रहे हैं. सबसे पहले नाम अखिलेश सरकार में खनन मंत्री रहे गायत्री प्रजापति की.
पिछले कुछ सालों में यूपी की राजनीति में गायत्री प्रजापति का नाम काफी उछला. समाजवादी पार्टी की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति को गैंगरेप के मामले में 10 नवंबर 2021 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. इस लिस्ट में अगला नाम गोसाईगंज से बीजेपी विधायक इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी का है. जिनकी विधायिकी कोर्ट के फैसले के बाद निरस्त हो गई थी.
बाहुबली नेता और यूपी के प्रमुख ब्राह्मण नेताओं में से एक खब्बू तिवारी को 18 अक्टूबर 2021 को एमपी-एमएलए कोर्ट ने 5 साल की सजा सुनाई थी. यूपी की राजनीति में सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहने वाले उन्नाव के बांगरमऊ सीट से बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर का सियासी सफर अचानक थम गया. पहले पार्टी ने निष्काषित किया उसके बाद कोर्ट ने भारी सजा सुनाई.
बता दें कि उन्नाव रेप कांड में दिल्ली की तीस हजारी अदालत ने 20 दिसंबर 2019 को बीजेपी के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. दरअसल उत्तर प्रदेश में 7 चरणों में चुनाव होंगे. यूपी में इन चरणों के तहत 10 फरवरी, 14 फरवरी, 20 फरवरी, 23 फरवरी, 27 फरवरी, 3 मार्च और 7 मार्च को मतदान होगा. 10 मार्च को चुनाव के नतीजे आएंगे.