चुनाव का रिजल्ट आया तो पता चला कि कपिल सिब्बल और मनीष तिवारी जैसे कांग्रेसी अब भी जीवित हैं
कृष्णकांत
चुनाव का रिजल्ट आया तो पता चला कि कपिल सिब्बल और मनीष तिवारी जैसे कांग्रेसी अब भी जीवित हैं और कांग्रेस में ही हैं। यूपीए सरकार जाने के बाद इनका एक काम बचा है, वह है राहुल गांधी का विरोध। अगर कांग्रेस जीतती है तब ये गायब रहते हैं। चुनाव के वक़्त ये कभी सक्रिय नहीं होते। जैसे ही कांग्रेस कोई चुनाव हारती है, तो जी-23 नाम के कुएं से कुछ मेंढक निकलते हैं और बताते हैं कि राहुल गांधी में क्या-क्या कमी है और अब उनको नेतृत्व से हट जाना चाहिए। पांच राज्यों में चुनाव के वक़्त यह गुट कहाँ था?
ये वो लोग हैं जो यूपीए सरकार में दस साल मंत्री रहे और जैसे सरकार गई तो कोई वकालत करने लौट गया और कोई हाइबरनेशन में चला गया। यूपीए सरकार को गए अभी दस साल भी नहीं हुआ है। दस साल सरकार तो मनमोहन सिंह ने भी चलाई जिसमें ये लोग मंत्री रहे। इन लोगों को इतनी क्या बेचैनी है?
2014 के बाद नरेंद्र मोदी की अगुआई में भाजपा भी कई चुनाव हारी। क्या भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने कभी मोदी-शाह को हटाने की मांग की? बुड्ढे कांग्रेसी ऐसा क्यों करते हैं? जो राहुल गांधी को हटाने की मांग करते हैं, उन्होंने दस सालों से पार्टी के लिए क्या किया है?
कपिल सिब्बल ने कुछ साल पहले एक चैनल शुरू किया था। कुछ ही महीने में चैनल बंद हो गया, पत्रकारों को सैलरी नहीं मिली, काफी छीछालेदर हुई। कहने का मतलब बस इतना है कि जो व्यक्ति एक चैनल तक नहीं चला सकता, उसे शिकायत है कि राहुल गांधी के नेतृत्व में एक राष्ट्रीय पार्टी कोई भी चुनाव क्यों हारती है?
कोई पूछे कि मंत्री पद से हटने के बाद कांग्रेस के जी-23 ने कांग्रेस को मजबूत करने के लिए क्या किया है? कांग्रेस को छोड़िए, इन्होंने अपने लिए क्या किया है? क्या किसी को यह भरोसा है कि कपिल सिब्बल या मनीष तिवारी अपने दम पर एक परधानी का चुनाव भी जीत सकते हैं? लोकसभा में 22 करोड़ के मुकाबले 12 करोड़ वोट पाने वाले राहुल गांधी अगर असफल हैं तो कपिल सिब्बल और गैंग ने ऐसा कौन सा तीर मारा है कि इनको कांग्रेस की कमान दे दी जाए?
कांग्रेस नेतृत्व को चाहिए कि अब वह दगे कारतूसों का बोझ ढोना बंद कर दे और इन विघ्नसंतोषियों से मुक्ति पा ले।