दिल्ली में सत्ता पर बैठी केजरीवाल सरकार आज तक रोज़गार का रोडमैप नहीं बना सकी
सौमित्र रॉय
इस साल 3 जनवरी को आई CMIE की रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब में इस समय 8 लाख बेरोज़गार घूम रहे हैं। सूबे का कुल कार्यबल 1.03 करोड़ का है, जिनमें से 95 लाख से ज़्यादा को ही कोई न कोई रोज़गार मिला है। 2017 से लेकर 2022 तक 4 लाख नौकरियां पंजाब में छिन चुकी है। जबकि इसी दौरान 24 लाख लोग बेरोज़गारों की भीड़ में और जुड़ गए। यानी राज्य की कामकाजी आबादी अब ढाई करोड़ से ज़्यादा है।
नए सीएम भगवंत मान ने आज 25000 सरकारी नौकरियों में भर्ती को मंजूरी दी है, जिनमें 10 हज़ार तो सिर्फ़ पुलिसवाले होंगे। ये अच्छा कदम है, लेकिन अकालियों की पिछली और फिर चन्नी सरकार के दौर में जिस तरह लाखों नौकरियों के दावे हुए हैं, उसे देखते हुए मान सरकार को विधानसभा में एक श्वेत पत्र लाना चाहिए।
आप को बताना चाहिए कि राज्य में कितने सरकारी पद खाली हैं और निजी क्षेत्र में कितनी नौकरियों की गुंजाइश है। साथ में यह भी कि इन सब संभावनाओं को सरकार कैसे पूरा करेगी। पंजाब में प्रति व्यक्ति 1 लाख रुपये से ज़्यादा का कर्ज है। आप के चुनाव घोषणा पत्र में मुफ़्त बिजली और वयस्क महिलाओं को 1000 रुपये प्रति माह का भत्ता देने की भी बात कही गई है।
मतलब, वित्तीय प्रबंधन और रोडमैप की ज़रूरत है। किसी भी सरकार के लिए 8 लाख बेरोज़गार हाथों को एकमुश्त काम देना मुमकिन नहीं है। लेकिन प्लानिंग क्या है? दिल्ली में सत्ता पर बैठी केजरीवाल सरकार आज तक रोज़गार का रोडमैप नहीं बना सकी है।
शिक्षा का मामला रोज़गार से सीधे जुड़ा है-जो एक प्रेरक का काम करता है। आप ने एक को पकड़ा तो दूसरा फ़िसल गया। मान सरकार को प्रचार के बजाय दोनों को पकड़कर रखना होगा।