बेजुबान है... इसलिए कोई परवाह नहीं, रोहतक में 25 गायों की मौत
रोहतक। बेजुबान है... इसलिए किसी को परवाह नहीं कि वे भूखी है या प्यासी, तोड़ देने वाली भीषण गर्मी में उसके लिए छांव है भी या नहीं, लेकिन जब एकाएक भूख-प्यास से निढ़ाल बिना शेड के गर्मी में खड़ी पहरावर गौशाला में अचानक गायें गिरने लगी तो प्रशासन और ग्रामीणों की नींद टूटी। एक एक कर करीब 20-25 गायों की मौत हो गई। उसके बाद गुस्साए ग्रामीणों ने गौशाला पर धावा बोला और नगर निगम के कर्मियों से भिड़ गए।
हरियाणा के रोहतक में नगर निगम की पहरावर गोशाला में शुक्रवार को अचानक एक एक कर कई गायें गिरने लगी और मर गई। इनकी संख्या करीब 25 बताई जा रही है। अचानक इतनी बड़ी संख्या में गौवश के मरने से गुस्साए ग्रामीण गोशाला पहुंच गए। ग्रामीणों की निगम कर्मियों से धक्कामुक्की व हाथापाई हो गई। इसकी सूचना पर काफी संख्या में पुलिस पहुंची और मामला शांत कराया।
ग्रामीणों का आरोप है कि गोशाला में करीब 25 गायें तेज धूप व भूख प्यास से मरी हैं। वहीं, निगम से सीएसआई का कहना है कि बीमारी व कमजोरी से आठ गायें मरी हैं, जिनका अंतिम संस्कार कराया है। निगम की गोशाला में 2200 से ज्यादा गायें हैं। इसका संचालन निगम ठेका पर करता है। 23 मई की शाम चार बजे एक संचालक ठेका छोड़ गया। तब से निगम प्रशासन गोशाला का संचालन कर रहा है।
पहरावर गांव के लोगों ने बताया कि पूर्वाह्न करीब 11 बजे सूचना मिली कि गोशाला में तेज धूप व भूख से 20-25 गायें मर गई हैं। इस पर करीब 35-40 लोग एकत्रित होकर गोशाला पहुंचे। ग्रामीणों ने गायों के मरने का विरोध करना शुरू कर दिया। वहां मौजूद सीएसआई (चीफ सेनेटरी इंस्पेक्टर) सुंदर सिंह व उनकी टीम से ग्रामीणों की धक्का-मुक्की और हाथापाई हो गई।
माहौल बिगड़ता देख सीएसआई ने तुरंत उच्चाधिकारियों को सूचना दी, जिस पर काफी संख्या में पुलिस मौके पर पहुंची। मौके की नजाकत देख पुलिस ने गुस्साए ग्रामीणों को शांत किया। यही नहीं, विरोध करने वाले कुछ लोगों के नाम अंकित किए। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि पूर्वाह्न 11 बजे तक गायों को चारा नहीं डाला था। अधिकांश गायें धूप में भूखी खड़ी थी। 20-25 गायें तेज धूप और भूख से मर चुकी थीं। उन्होंने न सिर्फ गायों को छांव में खड़ा किया बल्कि चार-पांच ट्रैक्टर चारा भी डलवाया। इस गोशाला में ऐसा पहली बार नहीं हुआ पहले भी भूख से गाये मर चुकी है।
वहीं, सीएसआई सुंदर ने बताया कि सुबह नौ बजे गायों को चारा डाल दिया था। लोग विरोध करने करीब साढ़े नौ बजे आए थे। आते ही निगम कर्मियों के साथ धक्कामुक्की व अभद्रता कर दी। एक कर्मी से हाथापाई की जिस पर पुलिस को बुलाना पड़ा। विरोध होने की वजह से सभी गायों को चारा नहीं डाला जा सका।
ग्रामीणों ने बताया कि सत्तापक्ष का नजदीकी गोशाला का संचालन कर रहा था। जब उसने गोशाला छोड़ी तो बिल्कुल भी चारा नहीं था। चारा न मिलने की वजह से उस समय गोशाला की करीब 72 गायें मरी थी। चूंकि मामला सत्तापक्ष के नजदीकी से जुड़ा था, इसलिए मामला दबा दिया गया। यही नहीं, तब गोशाला में निगम के कर्मी भी अपनी सेवाएं देते थे, जबकि वह ठेका पर संचालित कर रहा था।
बीच में ठेका छोड़ने वाले हरिओम जून ने बताया कि मैंने जनवरी में गोशाला चलाने का ठेका लिया था, तभी तूड़ा 350 रुपये का एक क्विंटल था और वर्तमान में 1300 रुपये का एक क्विंटल तूड़ा मिल रहा है। नगर निगम 25 रुपये प्रति गाय के हिसाब से भुगतान करता था। निगम प्रशासन से रेट बढ़ाने के लिए कहा, तो इनकार कर दिया। यही नहीं, निगम समय पर भुगतान नहीं कर रहा था, जिसकी वजह से गोशाला संचालन का ठेका 23 मई को छोड़ दिया है।
नगर पालिका कर्मचारी संघ के प्रधान संजय बिड़लान ने बताया कि सूचना मिली थी कि पहरावर गोशाला में ग्रामीणों ने निगम कर्मियों के साथ मारपीट की है। गोशाला पहुंचने पर पता चला कि सीएसआई सुंदर सिंह से अभद्रता व धक्कामुक्की की है। एक कर्मी से हाथापाई हुई थी।
ग्रामीण राजू ने बताया कि 11 बजे 20-25 युवा गोशाला पहुंचे थे, तो गायें धूप में खड़ी थी। निगम कर्मी चारा खोरों में डाल रहे थे। 10-15 गाय मर चुकी थी। हमारे लोगों ने चारा डाला। किसी ने झगड़े की सूचना देकर पुलिस को बुला लिया था। वहीँ ग्रामीण सचिन ने कहा कि किसी का फोन आया कि गोशाला में गायें धूप में भूखी खड़ी हैं। हम तो चारा डालने के लिए गए थे। चारा डाल रहे थे तभी किसी ने पुलिस को बुला लिया। गोशाला में 20-25 गाय मरी हुई थीं। करीब 11 बजे तक गोशाला में गायों को चारा नहीं डाला गया था। हमने तीन-चार ट्रॉली चारा डाला है। एक ग्रामीण ने कहा कि हमें फोन आया था कि गोशाला में गायें मरी पड़ी हैं। हम गए तो वहां कई गायें मरी पड़ी थी। वहां निगम की टीम व पुलिस आई हुई थी। पुलिस वालों ने डांटते हुए पूछा कि क्यों आए हो।
निगम आयुक्त डॉ. नरहरि बांगड़ ने कहा कि यह बदनीयती से हंगामा किया गया है। गलत लोग हैं, जो जमीन पर कब्जे की नीयत रखते हैं। निगम सुबह-शाम चारा डाल रहा है। बुधवार शाम को मैं खुद गोशाला देखने गया था। टेंडर निकाला हुआ है और जल्द ठेकेदार गोशाला चलाने के लिए आ जाएगा।