बिना स्कूल आए वेतन ले रही थी प्रधानाध्यापिका, पढ़ाने के लिए 5000 रुपये में किराए पर रखी थी लड़की
उत्तर प्रदेश में आगरा के बेसिक शिक्षा विभाग ने एक बड़ा खुलासा किया है. प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका बिना स्कूल आए वेतन ले रही थी और स्कूल के बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रधानाध्यापिका के द्वारा पांच हजार रुपये महीने पर एक युवती को रखा गया था. युवती प्रधानाध्यापिका की जगह स्कूल के बच्चों को पढ़ाती थी.
मंडलीय उप निरीक्षक उर्दू राकेश कुमार व मंडलीय समन्वयक मिड-डे मील राकेश कुमार पाराशर छह मई को जैतपुर कलां स्थित प्राथमिक विद्यालय नगला सुरई का निरीक्षण करने गए थे. स्कूल में जब प्रधानाध्यापिका नहीं मिली तो टीम के द्वारा पूछताछ की गई. निरीक्षण के दौरान किराए पर रखी गई युवती भी स्कूल के मौजूद थी. हालांकि इस मामले में एडी बेसिक महेश चंद्र ने प्रभारी बीएसए को प्रधानाध्यापिका और संबंधित दोषियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि जल्द से जल्द समिति बनाकर पूरे मामले की जांच कराई जाए और दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की जाए.
6 मई को मंडलीय उप निरीक्षक उर्दू राकेश कुमार व मंडलीय समन्वयक मिड-डे मील राकेश कुमार पाराशर ने जैतपुर कलां स्थित प्राथमिक विद्यालय नगला सुरई का निरीक्षण किया था. स्कूल की प्रधानाध्यापिका सुमन सिंह अनुपस्थित थीं. उपस्थिति पंजिका में देखने से पता चला कि वह 29 अप्रैल से बिना सूचना के विद्यालय से अनुपस्थित हैं. उपस्थिति पंजिका में 28 अप्रैल को आकस्मिक अवकाश अंकित मिला. पत्र व्यवहार में पंजिका में आकस्मिक अवकाश दर्ज नहीं था. जब टीम ने मिड-डे मील और छात्रों की उपस्थिति पंजिका मांगी तो शिक्षक व शिक्षामित्रों ने बताया कि सभी प्रधानाध्यापिका के पास हैं. इसके बाद यह पूरा मामला सामने आया.
पूछताछ पर सहायक अध्यापक मनीष कुमार, शिक्षामित्र अंजू, ऊषा ने टीम को बताया कि प्रधानाध्यापिका सुमन सिंह की जगह एक लड़की पढ़ा रही है. लड़की भी मौके पर मौजूद थी, उसने बताया कि वह अक्तूबर, 2021 से विद्यालय में पढ़ा रही है और उसे 5000 रुपये प्रति माह प्रधानाध्यापिका के द्वारा दिए जाते हैं. मौके पर मौजूद ग्रामीण ने भी बताया कि उन्होंने कभी प्रधानाध्यापिका को नहीं देखा है.
पूछताछ पर सहायक अध्यापक मनीष कुमार, शिक्षामित्र अंजू, ऊषा ने टीम को बताया कि प्रधानाध्यापिका सुमन सिंह की जगह एक लड़की पढ़ा रही है. लड़की भी मौके पर मौजूद थी, उसने बताया कि वह अक्तूबर, 2021 से विद्यालय में पढ़ा रही है और उसे 5000 रुपये प्रति माह प्रधानाध्यापिका के द्वारा दिए जाते हैं. मौके पर मौजूद ग्रामीण ने भी बताया कि उन्होंने कभी प्रधानाध्यापिका को नहीं देखा है.
बेसिक शिक्षा विभाग की टीम ने जैतपुर कलां के ही प्राथमिक विद्यालय बड़ा गांव में मिड-डे मील की गड़बड़ी पकड़ी. यहां पंजीकृत 45 की जगह 22 विद्यार्थी उपस्थित थे. मिड-डे मील के रजिस्टर में विद्यार्थियों की संख्या 45 लिखी गई थी. मामले की जानकारी होने पर एडी बेसिक ने बीएसए को प्रधानाध्यापक के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने और समिति बनाकर मामले की जांच कराने के निर्देश हैं. वही मिड-डे के लिए जारी धनराशि वापस कराने के लिए कहा है.